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परिषदीय स्‍कूलों के शिक्षकों के सामने आई एक नई चुनौती, अब इन छात्रों को ढ़ूंढने की सौंपी गई जिम्‍मेदारी

शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने और विद्यालय के सुंदरीकरण में पुरातन छात्रों की सहायता लेने के उद्देश्य से उनकी खोज की जा रही है। ताकि लंबे समय से जिन स्कूलों में जीर्णोद्धार नहीं हो सका है वहां पुरातन छात्र विद्यालय की स्थिति को दुरुस्त कराने के लिए आगे आ सकें।

By Vivek BajpaiEdited By: Published: Fri, 28 Jan 2022 05:04 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jan 2022 05:04 PM (IST)
परिषदीय स्‍कूलों के शिक्षकों के सामने आई एक नई चुनौती, अब इन छात्रों को ढ़ूंढने की सौंपी गई जिम्‍मेदारी
अब बेसिक के शिक्षकों के सामने पुरातन छात्रों को ढूंढने की चुनौती

बरेली, जेएनएन। बीते माह माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से पुरातन छात्रों को ढूंढने की पहल की गई थी। लेकिन, विभागीय अधिकारी और शिक्षक ऐसे एक भी छात्र को ढूंढने में असफल रहे। इसी कड़ी में अब परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को यह जिम्मेदारी दी है जो उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। ऐसे में अध्यापकों ने शिक्षक नेताओं का सहारा लेकर इसका विरोध करना शुरू कर दिया है।

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शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने और विद्यालय के सुंदरीकरण में पुरातन छात्रों की सहायता लेने के उद्देश्य से उनकी खोज की जा रही है। ताकि लंबे समय से जिन स्कूलों में जीर्णोद्धार नहीं हो सका है वहां पुरातन छात्र विद्यालय की स्थिति को दुरुस्त कराने के लिए आगे आ सकें। जिला समन्वयक प्रशिक्षण योगेश कुमार ने बताया कि बच्चों को समय-समय पर आगे बढ़ने की प्रेरणा दिलाने, चुनौतियों से जूझते हुए निर्धारित लक्ष्य को पाने के लिए अपनी राह बनाने की सीख देने के लिए भी पुरातन छात्रों का सहयोग लिया जाना है। ऐसे में जिले के प्रत्येक स्कूलों के प्रधानाध्यापक व शिक्षकों को इसकी जिम्मेदारी दी है। यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह कहते हैं कि ऐसे छात्र-छात्राओं को खोजना आसान नहीं है। इसके लिए विभाग को अलग से टीम गठित कर उन्हें यह कार्य सौंपना चाहिए। वहीं उप्र पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ के मंडलाध्यक्ष डा. विनोद कुमार शर्मा ने कहा कि कई बार काफी प्रयास के बाद अगर पुरातन विद्यार्थी मिल भी जाते हैं तो वे इसमें अपनी रुचि नहीं दिखाते।

आकर्षक परिषदीय विद्यालय किए जाएंगे पुरस्कृत: स्वच्छता, शिक्षा की बेहतर गुणवत्ता, शौचालय, पेयजल आदि मामलों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले परिषदीय विद्यालय पुरस्कृत किए जाएंगे। कायाकल्प योजना के तहत स्कूलों में 19 बिंदुओं पर मूल्यांकन के आधार पर रेटिंग की जाएगी। इसमें तीन स्टार हासिल करने वाले स्कूलों पुरस्कार के लिए दावेदारी कर सकेंगे। प्ररेणा एप पर स्कूल मार्च तक दावेदारी कर सकेंगे। जिले में 2482 परिषदीय विद्यालय हैं। जहां 3,54,872 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी विनय कुमार ने बताया कि मूल्यांकन की हर श्रेणी में कम से कम तीन स्टार रेटिंग पाने वाले विद्यालय पुरस्कार प्राप्त करने के लिए प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं। बताया कि पेयजल की व्यवस्था, शौचालय, कोरोना संक्रमण से बचाव के उपाय पर अमल करने आदि के आधार पर विद्यालयों की रेटिंग तय की जाएगी। इसके लिए विद्यालयों को स्व मूल्यांकन करना है। 90 से 100 अंक प्राप्त करने पर पांच स्टार, 75-89 अंक प्राप्त करने पर चार स्टार और 51-74 अंक प्राप्त करने पर तीन स्टार मिलेंगे। वहीं 35 से 50 अंक प्राप्त करने पर दो और 35 से कम अंक हासिल करने पर एक स्टार मिलेगा।

मार्च तक करना है आवेदन: स्कूलाें को मार्च तक रेटिंग के आधार पर प्रेरणा एप के जरिए आवेदन कराने निर्देश हैं। जिला स्तर पर पुरस्कार के लिए एक अप्रैल से 15 मई तक स्कूलों का चयन होगा। 22 मई से 30 जून के बीच राज्य स्तर स्कूलों का चयन होगा।


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