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ये बेटियां कुछ कर गुजरने का सपना पाले हैं

यह सच है कि अब लड़कों को टॉपर बनना है तो उनको लड़कियों से सबक लेना पड़ेगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 01:34 PM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 06:36 PM (IST)
ये बेटियां कुछ कर गुजरने का सपना पाले हैं
ये बेटियां कुछ कर गुजरने का सपना पाले हैं

जागरण संवाददाता, बरेली : गोल्ड मेडल पाने वाले 87 विद्यार्थियों में 64 लड़कियां, 23 लड़के, विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह के दौरान का यह आंकड़ा साबित करने को काफी है कि लड़कियां लड़कों से कितनी आगे हैं। कुलाधिपति और राज्यपाल रामनाईक ने भले ही मजाकिया अंदाज में लड़कों को लड़कियों से सीख लेकर पढ़ाई करने की नसीहत दी। लेकिन यह सच है कि अब लड़कों को टॉपर बनना है तो उनको लड़कियों से सबक लेना पड़ेगा। यह बदलाव समाज के लिए सकारात्मक है। जो लड़कियां कुछ वक्त पहले तक पढ़ने के लिए घर से नहीं निकलने दी जाती थीं, वो अब इतनी आगे निकल गई हैं कि लड़कों को इतना पीछे छोड़ गई हैं कि अब शायद ही वह उनसे आगे आ पाएं। लड़कियों की इस कामयाबी के पीछे क्या वजह है? सबका मानना है कि आगे बढ़कर झंडे गाड रहीं लड़कियां का फोकस पढ़ाई पर इसलिए है क्योंकि ये बेटियां कुछ कर गुजर जाने का सपना पाले हुए हैं। उनके मन में अपने माता-पिता की उम्मीदों को पूरा करने का जज्बा है। उन उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए वह पूरी मेहनत और एकाग्रता से पढ़ाई पर फोकस करती हैं..यही उनकी कामयाबी का राज है जबकि इसके इतर लड़के बाहरी दुनिया में भटक जा रहे हैं। सिर्फ पढ़ाई पर फोकस करने के बजाय उनके पास और भी काम हैं, जो उनको टॉपर बनने के लक्ष्य के प्रति एकाग्र नहीं होने देते। नतीजा, सामने है।

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इनकी बात..

लड़कियां बहुत सारी बाधाओं के साथ शिक्षा के द्वार पर पहुंचती हैं इसलिए उनका पूरा फोकस ध्येय पर रहता है। वे माता-पिता को सम्मानजनक स्थिति में लाना चाहती हैं इसको पूरी तरह से ध्यान में रखकर मेहनत करती हैं। उनके मन में आगे बढ़ने की न सिर्फ ललक है बल्कि उसके प्रति जी-जान से जुटने का इरादा भी है। जबकि लड़कों में उन जैसी जूझने की क्षमता का अभाव है।

-डॉ. पूर्णिमा अनिल, उप प्राचार्य बरेली कॉलेज

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लड़कियों की कामयाबी का मनोवैज्ञानिक कारण भी है। वे लड़कों से ज्यादा संवेदनशील होती हैं इसलिए वह हर काम के प्रति गंभीर होती हैं, जिससे उनका ध्यान नहीं भटकता है और वह लक्ष्य पर फोकस कर पाती हैं। भारतीय समाज में लड़कियों पर टोकाटाकी भी ज्यादा रहती है, जबकि लड़कों को उनसे ज्यादा छूट दी जाती है इसलिए लड़के लड़कियों जितना फोकस नहीं कर पाते।

-डॉ. हेमा खन्ना, मनोवैज्ञानिक, शिक्षाविद

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लड़कियां जब पढ़ने निकलती हैं तो उनके मन में कामयाबी से ज्यादा, माता-पिता और परिवार की उम्मीदें होती हैं। इन उम्मीदों में जो अपेक्षाएं होती हैं, उनको पूरा करने के लिए वह इसलिए भी फोकस करती हैं क्योंकि उनके मन में सदैव एक बात रहती है कि किसी भी तरह से माता-पिता का सम्मान बना रहे। यही संवेदनशीलता लड़कियों को कामयाबी के लक्ष्य की ओर फोकस करती है। लड़के ऐसा नहीं करते।

-प्रेमलता सिंह, पूर्व महामंत्री- छात्र संघ- अवंतीबाई कॉलेज


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