MNREGA : लॉकडाउन में घर लौटे प्रवासियों से बरेली में 320 तालाबों को मिला जीवनदान
जिले को मनरेगा के तहत 112 करोड़ रुपए का बजट मिला था। मनरेगा के तहत करीब 320 तालाबों की खोदाई कर उनको न सिर्फ गहरा किया गया बल्कि बारिश का पानी रोकने के लिए मेडबंदी भी की गई है।
बरेली, जेएनएन। लॉकडाउन में वापस लौटे प्रवासियों को सरकार ने जिस तरह मनरेगा के तहत काम दिया, उसका सर्वाधिक फायदा जल स्रोतों को मिला। इससे जिले के तालाबों को न सिर्फ जीवनदान मिला बल्कि नदियों की भी सफाई की गई। कई नदियों को तो पुनर्जीवित भी किया गया। जिले को मनरेगा के तहत 112 करोड़ रुपए का बजट मिला था। मनरेगा के तहत करीब 320 तालाबों की खोदाई कर उनको न सिर्फ गहरा किया गया बल्कि बारिश का पानी रोकने को चारों तरफ से मेड़बंदी भी की गई।
जिले में 6500 तालाब कागजों मे दर्ज हैं, जिसमें 2500 ऐसे हैं, जिनका अस्तित्व मिट चुका है। अब उनको चिह्नित किया जा रहा है। उनकी खोदाई कर फिर से तालाब का स्वरूप दिया जाएगा। इसके अलावा आंवला के रामनगर की 16 किमी लंबी पीलिया नदी भी पट चुकी थी। उसे मनरेगा के तहत पुनर्जीवित किया गया है। इससे 16 किमी के दायरे में आने वाले कई गांवों में न सिर्फ फसलों की ¨सचाई होगी बल्कि भूजल का स्तर भी बढ़ेगा।
भुता ब्लॉक की बहुगुल नदी के किनारे 56 हजार मिट्टी की बोरियों से बांध बनाया गया। नदी में पड़ी हुई सिल्ट और काई की भी सफाई की गई। अब न सिर्फ नदी में पानी संरक्षित हो रहा है बल्कि फसले भी डूबने से बच रही हैं। नदियों में लगातार पानी बना रहे और भूजल का स्तर ऊपर रहे, इसके लिए प्रशासन की तरफ से नदियों के किनारे छोटे-छोटे जलकुंड भी बनाए गए हैं, जिससे बारिश का पानी इनमें संरक्षित हो सके।
प्रशासन ने पानी की बर्बादी को रोकने को नलकूप के जरिए खेतों में पहुंचने वाले पानी के लिए पक्की नालियों का भी निर्माण कराया है। मनरेगा के तहत जिले को 37 लाख मानव दिवस सृजित करने का लक्ष्य दिया गया है। अब तक करीब 22 लाख मानव दिवस सृजित किए जा चुके हैं, जिसमें ज्यादातर काम जल संरक्षण और पौधारोपण के ही किए गए हैं। प्रशासन ने जल स्त्रोतों को विकसित करने के लिए व्यक्तिगत लाभार्थी योजना भी चलाई है, जिसमें कोई भी व्यक्ति अपने खेत में तालाब की खोदाई करवा सकता है। इसका पूरा खर्च प्रशासन उठाएगा।
मनरेगा के तहत बड़े स्तर पर जिले में तालाबों की खोदाई की गई है। नदियों को भी साफ किया गया है। जल संरक्षण के साधनों को विकसित किया गया है। - गंगाराम, उपायुक्त, मनरेगा