कोरोना काल में बरेली के 190 लोगों ने कर दिया कमाल, तैयार की दूसरों को रोजगार देने के लिए जमीन
बाजार के हाल सामान्य होने के बाद अब ये इकाइयां ठीक स्थिति में आ गई हैं। जिला ग्रामोद्योग विभाग में मुख्य रूप से प्रधानमंत्री रोजगार सृजन मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना और मुख्यमंत्री माटीकला प्रोत्साहन योजना संचालित है। इन योजनाओं के जरिये लोन मिलता है।
बरेली (अंकित शुक्ला)। कोरोना के कारण लोगों के हाथ से रोजगार खिसका, कारोबार को झटका लगा। इन हालात के बीच भी हार नहीं मानी। नौ महीने में जिले के 190 लोगों ने छोटे उद्यम शुरू कर अपने लिए कारोबार और दूसरों के लिए रोजगार की जमीन तैयार कर ली। बाजार के हाल सामान्य होने के बाद अब ये इकाइयां ठीक स्थिति में आ गई हैं। इस वित्तीय वर्ष में विभाग को जिले में 477 लोगों को स्वरोजगार से जोड़ना है। जिला ग्रामोद्योग विभाग में मुख्य रूप से प्रधानमंत्री रोजगार सृजन, मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना और मुख्यमंत्री माटीकला प्रोत्साहन योजना संचालित है। इन योजनाओं के जरिये लोन मिलता है। मार्च से दिसंबर तक मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना 113, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन में 48 और मुख्यमंत्री माटीकला प्रोत्साहन योजना में 29 लोगों ने काम शुरू किया। किसी ने जरी कारखाना लगाया तो किसी ने आटा चक्की लगाई या टेंट हाउस खोला।
बैंकों ने नहीं दिखाई रुचि
तीनों योजनाओं के तहत 82 अन्य आवेदन भी विभाग ने स्वीकृत किए जोकि विभिन्न बैंक शाखाओं मेंं अटके हुए हैं। पिछले चार महीने से आवेदक चक्कर लगा रहे, मगर विभिन्न कमियां बताकर उन्हें लौटा दिया गया। जिला ग्रामोद्योग अधिकारी मनोज कुमार गुप्ता ने बताया कि जनपद में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना की प्रगति सुधारने के लिए बैंक प्रबंधन से वार्ता की जा रही है। मार्च तक 477 इकाइयों का लक्ष्य पूरा करेंगे।
इस तरह मिलती है आर्थिक मदद
जिला ग्रामोद्योग अधिकारी मनोज कुमार गुप्ता ने बताया कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में इकाइयां लगाने के लिए ऑनलाइन या विभाग के कार्यालय आकर आवेदन करना होता है। विनिर्माण के लिए 25 लाख प्रोजेक्ट कास्ट तथा सेवा उद्योग के लिए प्रोजेक्ट कास्ट 10 लाख रुपये तक लोन के लिए आवेदन किया जा सकता है। विभाग आवेदन स्वीकृत कर बैंक शाखाओं में भेजता है। इसमें सामान्य वर्ग को 25 प्रतिशत व अन्य वर्ग के लाभार्थियों को 35 प्रतिशत अनुदान मिलता है।