काम आई पढ़ाई, पिता की मौत के बाद बेटियों ने संभाला परिवार
बेटों से कम नहीं शारदा देवी की पढ़ी-लिखी आत्मनिर्भर बेटियां।
प्रेम अवस्थी, बाराबंकी
'घर-घर शिक्षा ज्योति जलाओ, बेटा-बेटी सभी पढ़ाओ।' सर्व शिक्षा अभियान के दौरान गूंजने वाले इस स्लोगन को मंत्र मान लक्ष्मणपुरी कॉलोनी निवासी बृज किशोर ने अपनी तीनों बेटियों को उच्च शिक्षित बनाने का फैसला किया। बेटियां पढ़कर आत्मनिर्भर बनीं और पिता के निधन के बाद बेटों के जैसे ही जिम्मेदारियों को संभाल भी रही हैं।
राजस्व विभाग में लेखाकार रहे बृज किशोर की मौत कोरोना के चलते 18 अगस्त को हो गई हैं। उनके तीन बेटियां हैं। इनमें एक बेटी पूर्व माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक, दूसरी बीटीसी के बाद शिक्षक पात्रता परीक्षा पास कर चुकी है। जबकि, तीसरी बेटी को बृजकिशोर के निधन के बाद मृतक आश्रित में नौकरी मिली है। शारदा देवी का कहना है कि पति बृज किशोर ने यदि बेटियों को अच्छी शिक्षा न दिलाई होती तो उनके निधन के बाद दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती। हमारी पढ़ी लिखी बेटियां बेटों से कम नहीं हैं।
बड़ी बेटी अनामिका बेसिक शिक्षा विभाग में पूर्व माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक दूसरी बेटी बीटीसी व टेट पास कर चुकी है। तीसरी बेटी सोनिका जो एलएलवी व एलएलम करने के बाद पीसीएस जे की तैयारी कर रही थी उसने परिवार की जरूरतों के ²ष्टिगत राजस्व विभाग के संग्रह अनुभाग में पिता की मौत के बाद मृतक आश्रित के रूप में नौकरी कर ली। शारदा देवी का कहना है कि उन्होंने इंटर तक पढ़ाई की थी लेकिन इंटर में अंतिम वर्ष की परीक्षा नहीं दे सकीं। उच्च शिक्षा की उनकी ललक परिवारिक कारणों से पूरी नहीं हो सकी। लेकिन बेटियों को पढ़ाने में हमने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
वहीं, सोनिका का कहना है कि पिता बृजकिशोर उसे जज बनाना चाहते थे। उनके निधन के बाद परिवार की जरूरतों को ध्यान में रखकर नौकरी कर ली है लेकिन पीसीएस जे की परीक्षा की तैयारी के लिए वह मेहनत करती रहेंगी।