नमो देव्यै :::: श्री विधि से खेती कर महिलाओं ने बचाया पानी, बढ़ाई आमदनी
जहां चाह है वहां राह है की कहावत को गणेश स्वयं सहायता समूह की टांडपुर तुरकौली की रोली शुक्ला चरितार्थ कर रही हैं। जलदोहन और सिचाई पर पानी की खपत कम करने के लिए खेती की नई तकनीक अपना ली।
राघवेंद्र मिश्र, सूरतगंज, (बाराबंकी)
'जहां चाह है वहां राह है' की कहावत को गणेश स्वयं सहायता समूह की टांडपुर तुरकौली की रोली शुक्ला चरितार्थ कर रही हैं। जलदोहन और सिचाई पर पानी की खपत कम करने के लिए खेती की नई तकनीक अपना ली। उन्होंने समूह की महिलाओं के साथ पानी की अभाव में फसलों को सूखने से बचाने के लिए पांच बीघा में श्री विधि से धान की खेती की शुरुआत की। इन्हें हौसला देने के लिए कोरोना काल में जिलाधिकारी डा. आदर्श सिंह, तत्कालीन एसपी अरविद चतुर्वेदी ने भी खेत में रोपाई की थी, वह फोटो खूब वायरल भी हुआ था। इस विधि से उन्होंने न सिर्फ जल दोहन रोकने का काम किया बल्कि सिचाई पर खर्च कम करके अपनी आमदनी भी बढ़ाई। रोली शुक्ला बताती है कि इस विधि से 30 फीसद अधिक उत्पादन हुआ। करीब 40 फीसद पानी की बचत हुई। ऐसे की जाती है रोपाई
ब्लाक मिशन प्रबंधक मोनू श्रीवास्तव ने बताया कि श्री विधि में 15 से 20 दिन की नर्सरी की रोपाई की जाती है। कतार में 20 से 25 सेंटीमीटर की दूरी पर एक-एक पौधा रोपा जाता है। इससे निराई-गुड़ाई में भी आसानी रहती है। जब खेत फसल की सिचाई की जाती है तो पानी तेजी से खेत में फैलता है इससे 40 फीसद पानी बचता है। इससे पौधे विकसित होते हैं तो उसमें 100 कल्ले तक निकलते हैं। इससे उत्पादन अधिक होता है। इस विधि से अब खेती करने के लिए किसान तेजी से प्रेरित हो रहे हैं। इस विधि से खेती होने से भारी मात्रा में पानी की बचत होगी और उत्पादन भी बढ़ेगा।