..लोकतंत्र के मंदिर के परम पुजारी थे
भारत रत्न महान कवि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के प्रति जनमानस में अपार श्रद्धा है। जिले के कवियों की रचनाओं में में भी अटल जी का अटल व्यक्तित्व झलकता है।
बाराबंकी : भारत रत्न महान कवि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के प्रति जनमानस में अपार श्रद्धा है। जिले के कवियों की रचनाओं में भी अटल जी का अटल व्यक्तित्व झलकता है।
नगर के लक्ष्मणपुरी निवासी कवि रामकिशोर तिवारी किशोर ने अपने एक छंद में अटल जी के जीवन के सभी पहलुओं को छूने की कोशिश की है। उन्होंने लिखा है 'संत सा हृदय मन में अदम्य उत्साह, सरल, तरल, सुविचारी, व्रतधारी थे, श्वांस-श्वांस में समाई देश भक्ति की लगन, लोकतंत्र मंदिर के परम पुजारी थे। काल के कपाल पर लिखते रहे सदैव, उन्नत ललाट रहे सब पर भारी थे, जनप्रिय नेता काव्य ग्रंथ के प्रणेता, नई लीक के सृजेता पूज्य अटल बिहारी थे।'
नगर के कंपनीबाग निवासी कवि एवं शिक्षिका इंदु शुक्ला ने अपनी कविता में अटल जी का व्यक्तित्व कुछ इस प्रकार बयां किया। 'तुमने बड़े-बड़ों को राजधर्म सिखाया, राजनीति का मर्म तुमने सबको बताया, प्रतिपक्ष हो या पक्ष समन्वय ही दिखाया, राष्ट्रवाद तेरा परिचय रग-रग में समाया, ऐ देश के प्रणेता तुझे राष्ट्र का नमन।' ज्ञानी, गुणी और वक्ता प्रखर, बड़े नेक विचार अटल थे इरादे।'
कवि एवं साहित्यकार डॉ. विनय दास ने लिखा है कि अटल जी भले ही हमारे बीच नहीं हैं पर वह अपने कार्यों में जीवित हैं। 'अटल जी तेरा मुस्कराना, वो आंख मूंदकर दुनिया का हाल बताना, जीवन के हर पहलू पर तेरा ¨चतन याद रहेगा।'
कवि विनय शुक्ल ने लिखा है 'तेरह दिन, तेरह माह की चला के सरकारें सुलझा विवाद गए अपने अटल जी, दुनिया न भूलेगी पोखरण वाला क्षण करके निनाद गए अपने अटल जी, कारगिल युद्ध जीत दुष्ट पाक के मंसूबे कर बर्बाद गए अपने अटल जी, आजादी का जश्न शोक में न डूबे इसलिए एक दिन बाद गए अपने अटल जी।'