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आस्था से जुड़ी है तीरगांव की होली

संवादसूत्र सतरिख (बाराबंकी) हरख ब्लॉक के तीरगांव की होली आस्था से जुड़ी है। यहां दूरदराज के जिलों से लोग होली तापने आते हैं। मान्यता है कि होलिका दहन के दौरान शरीर पर डाले जा रहे पानी को मिट्टी के कुल्हड़ में रोकने से गंभीर बीमारियों से छुटकारा मिलता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Mar 2019 11:52 PM (IST)Updated: Sun, 17 Mar 2019 11:52 PM (IST)
आस्था से जुड़ी है तीरगांव की होली
आस्था से जुड़ी है तीरगांव की होली

बाराबंकी: हरख ब्लॉक के तीरगांव की होली आस्था से जुड़ी है। यहां दूरदराज के जिलों से लोग होली तापने आते हैं। मान्यता है कि होलिका दहन के दौरान शरीर पर डाले जा रहे पानी को मिट्टी के कुल्हड़ में रोकने से गंभीर बीमारियों से छुटकारा मिलता है।

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यहां गांव के चौराहे पर एक पुराना बरगद का पेड़ लगा है। इसी के पास सैकड़ों वर्ष पूर्व से होलिका दहन होती चली आ रही है। होली दहन होने से एक दिन पूर्व ही यहां जिले के अन्य क्षेत्रों के साथ ही रायबरेली, फैजाबाद, सुल्तानपुर, बहराइच, लखनऊ सहित अन्य जिलों से काफी संख्या में लोग आ जाते हैं। गांव के निवासी वृद्ध रामचंदर पांडे, गोकुल रावत तथा संजय वर्मा का कहना है कि जो लोग दौरा आदि बीमारी से ग्रस्त होते हैं होलिका दहन होते ही उन्हें नहलाया जाता है। नहाने के दौरान वह लोग मिट्टी के बर्तन कुल्हड़ में पानी रोकते हैं। बाद में पानी होली में फेंक दिया जाता है। ऐसा करने से उन्हें बीमारियों से निजात मिल जाती है। इसी मान्यता के चलते वर्ष दर वर्ष होलिका दहन से पूर्व लोग जुटने शुरू होते हैं। यहां मुस्लिम भी होली तापने आते हैं।


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