कोरोना काल में चल पड़ा 'सांस' बेचने का कारोबार!
कोरोना काल में सांसबेचने का कारोबार भी चल पड़ा है। यह कहना इसलिए गलत न होगा क्योंकि आक्सीजन गैस आसानी से नहीं मिल रही। लोकल वितरकों की 50 सिलेंडर की मांग पर पांच-सात सिलेंडर ही मिल पा रहे हैं।
संसू, बाराबंकी
कोरोना काल में 'सांस'बेचने का कारोबार भी चल पड़ा है। यह कहना इसलिए गलत न होगा क्योंकि आक्सीजन गैस आसानी से नहीं मिल रही। लोकल वितरकों की 50 सिलेंडर की मांग पर पांच-सात सिलेंडर ही मिल पा रहे हैं। आस-पास के जिलों से भी आक्सीजन की मांग बढ़ता देख इस धंधे से जुड़े लोग अवसर का लाभ उठाने में भी नहीं चूक रहे। किसी की उखड़ती सांस से ज्यादा उनके लिए अपनी जेब का वजन बढ़ाना मायने रखता है। बुधवार को 'जागरण' ने इसकी पड़ताल की तो आक्सीजन गैस की किल्लत और इससे जुड़े लोगों के बारे में हैरान करने वाली जानकारी मिली।
शहर में सतरिख नाका के आसपास तीन स्थानीय आक्सीजन गैस वितरक हैं। इनमें से दो वितरकों के गोदाम बंद मिले। बताया गया कि आक्सीजन सिलेंडर नहीं मिल पा रहे हैं। वहीं, एक वितरक की दुकान पर खाली सिलेंडर लिए खड़े दो लोग मिले। वितरक ने उन्हें की किल्लत के बारे में बता रहा था। उसने बताया कि निजी चिकित्सालयों में उनके सिलेंडर जाते हैं।
असेनी मोड़ पर एक फर्म सिलेंडर में आक्सीजन गैस भरती है। दो दिन पहले 50 सिलिडर दिए गए, जिसमें से आठ ही भरे जा सके जो आते ही बंट गए। वहां कोई सुनने वाला नहीं है। सरकारी चिकित्सालयों में आक्सीजन की आपूर््ित की बात कहकर लौटा देते हैं। लखनऊ-अयोध्या मार्ग पर एक प्रतिष्ठान में आक्सीजन गैस सिलेंडर भरने की व्यवस्था है लेकिन वहां गैस भरने की अनुमति अभी आगरा से नहीं मिली है। दूसरी फर्मों से गैस सिलेंडर भरवाकर बेचते हैं। हालांकि संबंधित फर्म के एक मोबाइल नंबर पर संपर्क किया गया तो वहां से बताया गया कि सिलिडर उनके पास भी नहीं हैं।
अफसर बोले-
मेयो व हिद हास्पिटल में आक्सीजन की उपलब्धता के बारे में ही जानकारी कर रहे हैं। आक्सीजन सिलेंडर कहां से आता है। कितनी जरूरत है? यह जानकारी उन्हें नहीं हैं।
-डा. वीकेएस चौहान, सीएमओ। औषधि निरीक्षक भी संक्रमित : औषधि निरीक्षक सुमित वर्मा ने कहा कि वह संक्रमित होने के कारण आठ दिन से होम आइसोलेट हैं।