नई शिक्षा नीति देगी 'कृष्ण-सुदामा' को साथ पढ़ने का मौका
शिक्षक बोले बच्चों को मनपसंद विषय चुनने की होगी आजादी
बाराबंकी : वर्ष 1986 के बाद आई नई शिक्षा नीति को शिक्षकों ने शैक्षिक समानता का अवसर बताया है। शिक्षकों का मानना है कि इस नीति के लागू होने पर एक समान पाठ्यक्रम शैक्षिक असमानता को दूर करने और छात्रों में उत्साह का संचार करेगा। इसमें छात्रों के बौद्धिक विकास, रुचि, दक्षता और कौशल प्रबंधन का भी ध्यान रखा गया है। साथ ही स्नातक व परास्नातक की पढ़ाई अब पांच वर्ष में नहीं बल्कि अब चार वर्ष में पूर्ण कर लेंगे। साथ ही क्षेत्रीय भाषाओं का ज्ञान प्रारंभिक शिक्षा में ही हो सकेगा। प्रस्तुत है शिक्षकों से बातचीत पर आधारित रिपोर्ट..
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नई शिक्षा नीति लागू हो गई तो प्राइमरी से लेकर हायर शिक्षा तक सभी विद्यार्थियों को समान अवसर मिलेगा। इसमें आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को विशेष शिक्षा मिलेगी। दूसरी क्षेत्रीय भाषाओं में प्रारंभिक शिक्षा प्रारंभ करने से क्षेत्रीय भाषाओं का महत्व बढ़ेगा।
सुभाषचंद्र श्रीवास्तव, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक
नई शिक्षा नीति से छात्रों को अपनी संस्कृति व संस्कार से भलीभांति परिचित होने में सुगमता होगी। साथ ही अनेकता में एकता वाले इस देश में नई शिक्षा नीति लागू होने से उत्तर से दक्षिण व पूरब से पश्चिम सभी देश वासियों को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है।
आशुतोष आनंद अवस्थी, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक
स्नातक व परास्नातक की ज्वाइंट डिग्री अब चार साल में मिल जाएगी। पहले तीन वर्ष स्नातक व दो वर्ष परास्नातक में लगते थे। अब छात्र स्नातक में गणित के साथ कला वर्ग के विषय भी पढ़ सकते हैं। यह तैयारी बीएससी कर रहाहै तो वह कला वर्ग के विषय ले सकता हैं। सुरेंद्र वर्मा, रसायन विज्ञान प्रवक्ता, श्री साईं इंटर कॉलेज, लखपेड़ाबाग। नई शिक्षा नीति लागू होने का सबसे बड़ा फायदा मिलेगा। समय कम होने की वजह से छात्रों को पूरा-पूरा लाभ मिलेगा। पहले जितने चैप्टर थे उनमे से 30 प्रतिशत चैप्टर कम किए गए हैं। इससे बच्चों को बोर्ड की तैयारी कम समय में बेहतर हो सकेगी।
रामकिशोर शुक्ला, प्रधानाचार्य, महारानी लक्ष्मी बाई इंटर कॉलेज लखपेड़ाबाग, बाराबंकी
34 वर्ष बाद नई शिक्षा नीति लागू होना एक बेहतर कदम हैं। इसमें भाषा दक्षता, वैज्ञानिक स्वभाव, सौंदर्य बोध, नैतिक तर्क, डिजिटल साक्षरता, भारत का ज्ञान व सामायिकी का विकास होगा।
राजेश कुमार वर्मा, जिला विद्यालय निरीक्षक बाराबंकी।