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वैज्ञानिकों ने शुरू की प्याज की आधुनिक खेती

खरीफ में प्याज की खेती से किसान की आय होगी दोगुनी एग्रीफाउंड डार्क रेड पूसा रेड नासिक रेड प्रजाति की बोआई गई प्याज

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Jul 2020 12:04 AM (IST)Updated: Tue, 14 Jul 2020 06:06 AM (IST)
वैज्ञानिकों ने शुरू की प्याज की आधुनिक खेती
वैज्ञानिकों ने शुरू की प्याज की आधुनिक खेती

बाराबंकी : प्याज की बढ़ती हुई मांग को देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र हैदरगढ़ पर वैज्ञानिकों ने प्याज की आधुनिक खेती शुरू कर दी गई है। वैज्ञानिक प्याज उगाकर किसानों को खेती करने का तरीका बता रहे हैं। वैज्ञानिकों ने प्याज की उन्नतशील प्रजातियां एग्रीफाउंड डार्क रेड, पूसा रेड, नासिक रेड, लाइन-883, एन-53 बोई है। यह ऐसी प्रजाति है, जिसमें उत्पादन सर्वाधिक होता है। प्याज की कटाई नवंबर व दिसंबर माह में करें। इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर 150-200 क्विंटल है। किसान खरीफ प्याज की नर्सरी डालकर अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। खाद एवं उर्वरक : डॉ. अश्वनी कुमार सिंह ने बताया कि एक एकड़ में सड़ी गोबर की खाद 400 किलोग्राम, 100 किलोग्राम नत्रजन, 500 किलोग्राम फास्फोरस, 100 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से डालें। नत्रजन की आधी मात्रा, फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा रोपाई से पूर्व खेत की तैयारी के समय डालें। नत्रजन की शेष मात्रा एक से डेढ़ माह बाद खड़ी फसल में डालें। बुआई का उपयुक्त समय : खरीफ प्याज की नर्सरी डालने का उचित समय चल रहा है। एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में प्याज लगाने के लिए 8-10 किलो बीज पर्याप्त हैं। पौध व कंद तैयार करने के लिए बीज को क्यारी में बोएं। जिसका आकार तीन वर्ग मीटर हो। वर्षाकाल में उचित जल निकास के लिए क्यारी को 10-15 सेंटीमीटर की दूरी पर कतारों में दो-तीन सेंटीमीटर की गहराई पर बोएं। पौध को गलन से बचाने के लिए बीज को उपचारित करके बोना चाहिए। बोने के बाद बीज को बारीक गोबर की खाद, मिट्टी व घास से ढक दे। उसके बाद हजारे से पानी दें। छह दिनों में बीज अंकुरित हो जाने पर घास-फूस को हटा दें। पौध की रोपाई : पौध लगभग 40-50 दिन में रोपाई योग्य हो जाता है। रोपाई का उपयुक्त समय जुलाई के अंतिम सप्ताह से लेकर अगस्त माह तक हैं। रोपाई करते समय कतार से कतार 15 सेंटीमीटर तथा पौध से पौध 10 सेंटीमीटर करते हैं। खरपतवार नियंत्रण : बीज अंकुरित होने से पूर्व एलाक्लोर 1.5-2.0 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। तथा बुआई से पूर्व फ्लूक्लोरीन 1.5-2.0 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़ककर मिट्टी में मिलाएं। इससे खरपतार खत्म हो जाता है।

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