कोरोना की जंग में संगीता, अवधरानी बनी मददगार
कोविड - 19 की जंग में आशा कार्यकर्ता गांवों में महत्वपूर्ण कोरोना वारियर्स साबित हो रही हैं। विपरीत परिस्थितयों में लोगों को शारीरिक दूरी हाथ धुलने जैसी जानकारियां लोगों को दे रही हैं।
बाराबंकी: वायरस कोविड - 19 के खिलाफ इस लड़ाई का एक मोर्चा आशा कार्यकर्ताओं ने भी संभाल रखा है। सरोज, अवधरानी, संगीता व अन्य महिला कार्यकर्ताओं का कार्य कई मामलों में चुनौतीपूर्ण है। कोई अपनी पारिवारिक समस्याओं को दरकिनार करते हुये ड्यूटी कर रही है तो कोई कार्यकर्ता सामाजिक असहयोग का सामना करते हुए लोगों को इस वैश्विक महामारी से बचा रही है। ग्रामीण इन्हें आशा दीदी बुलाते हैं।
ग्रामीणों के लिए प्रेरणाश्रोत बनीं संगीता: ब्लाक क्षेत्र के ग्राम भिटौली कलावासी संगीता देवी ने बताया कि वे जाटा बरौली सीएचसी में कार्यरत हैं। कोरोना का संक्रमण बढ़ने से हम लोगों पर जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है। हम लोग प्रवासी लोगों को होम क्वारंटाइन करा रहे हैं। हमारा काम घर-घर जाकर लोगों को सही तरीके से हाथ धुलना, शारीरिक दूरी का पालन करवाना और मास्क लगाने के फायदे के बारे में बताना है। अवधरानी ने रुढि़वादी विचारों को किया बेदम: सीएचसी टिकैतनगर के कस्बा इचौली प्रथम की अवधरानी आशा कार्यकर्ता के रूप में 2017 से कार्य कर रही है। बताया कि पहले जब क्षेत्र में कार्य प्रारंभ किया तो वहां रुढि़वादी विचारधारा के कारण बहुत कठिनाई होती थी। मैं प्रवासी लोगों के घरों पर पोस्टर चिपका कर जानकारी देती हूं। उनकी हर तीसरे दिन हालचाल लेने जाती हूं।
समर्पणभाव से कार्य करती हैं अंजनी व सरोज: देवा सीएचसी के ग्राम क्षेत्र पीड़ की रहने वाली अंजनी वर्मा आशा कार्यकर्ता के रूप में सन 2006 से कार्य कर रही हैं। उनकी दिनचर्या सुबह पांच छह बजे से शुरू हो जाती है। कोरोना काल में समर्पण की कार्य के प्रति समर्पण की भावना देखते बनती है। ग्राम पंचायत सरायसैफ की आशा कार्यकर्ता सरोज सिंह कहती हैं, कुछ लोग हमें अपने घरों में घुसने से मना कर देते हैं। कहते हैं कि हम पूरे गांव में घूमते हैं। हम उन्हें कोरोना से संक्रमित कर देंगे। हम उनकी जानकारी बाहर पहुंचाएंगे।
बोले अधिकारी: जिला प्रोग्राम अधिकारी अम्बरीश द्विवेदी का कहना है कि आशा कार्यकर्ता राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना की महत्वपूर्ण कड़ी है। कोरोना संक्रमण काल में इनकी भूमिका सराहनीय है।