भूमि पूजन संग पूरी हुई रामभक्तों की साध
-श्रीरामलला के भव्य मंदिर निर्माण के आकांक्षा में जी रहे थे श्रीरामजन्मभूमि के आंदोलनकारी
श्रीकांत तिवारी, रामसनेहीघाट, बाराबंकी
रामलला हम आएंगे, मंदिर यहीं बनाएंगे का यह स्लोगन श्रीरामजन्मभूमि के आंदोलनों की यादें ताजा कराता रहा है। आंदोलन में भागीदारी करने वाले रामभक्तों की जिह्वा पर यह स्लोगन अयोध्या और आंदोलन का जिक्र होते ही बरबस आ जाता था। बुधवार को मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन होने के साथ ही वर्षों से अपने आराध्य के भव्य मंदिर निर्माण की आकांक्षा रखने वाले रामभक्तों की साध पूरी होती दिखी। कई रामभक्तों तो इसी उम्मीद में ¨जदगी के दिन काट रहे थे कि काश उनके जीवनकाल में मंदिर का निर्माण हो सके। प्रस्तुत है श्रीराम जन्मभूमि का हिस्सा रहे रामभक्तों से बातचीत पर आधारित रिपोर्ट..
------------------ 1990 के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाते हुए आंदोलन में अयोध्या हिस्सा लिया था। वो भयावह ²श्य देखकर रूह कांप गई थी। आज का दिन देखने के लिए आतुर था। भूमि पूजन होने से अप्रतिम खुशी मिली है। अपने गांव के मंदिर में राम नाम जप किया है और ईश्वर से प्रार्थना की है कि कोरोना महामारी से जल्द निजात दिलाएं। जल्द ही भगवान श्री राम के भव्य मंदिर का निर्माण हो जाए और रामलला का दर्शन कर सकूं, ऐसी आकांक्षा है।
-दुर्गा प्रसाद, हरिलालपुरवा।
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श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन के दौरान सक्रियता और जेल जाने का प्रतिफल आज भूमि पूजन के रूप में मिल रहा है। कोविड-19 के चलते जाने का सौभाग्य नहीं मिल सका। घर पर ही टेलीविजन के माध्यम से लाइव प्रसारण देखा। उम्मीद है अब अपने जीवनकाल में ही भव्य मंदिर में श्रीरामलला के दर्शन कर सकेंगे। सुमेरगंज स्थित बूढ़े हनुमान मंदिर परिसर को रोशन किया जाएगा और रामभक्तों को प्रसाद का वितरण करेंगे। हमारे जीवन का यह महोत्सव है।
-उमाशंकर गुप्ता, सुमेरगंज।
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वर्ष 1990 के श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में जेल जाना हो या अन्य आंदोलन सभी में भागीदारी करने का सौभाग्य मिला। आज भूमि पूजन के बाद श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण की साध पूरी होती दिख रही है। सुबह घर में हनुमान चालीसा का पाठ और राम नाम जाप किया और शाम को दीपोत्सव का मिष्ठान का वितरण किया।
-श्याम प्रकाश गुप्त, सुमेरगंज।
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युवा अवस्था में आंदोलन में कच्चे रास्तों से होते हुए अयोध्या पहुंचे थे। अब 65 वर्ष की आयु में भूमि पूजन का पावन अवसर आया है। उम्मीद है जल्द रामलला भव्य मंदिर में विराजमान होंगे। इस महापर्व पर सुंदरकांड किया और दीपोत्सव मनाया।
-शिव बालक मिश्र, भानपुर।
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घर नहीं टेलीविजन, स्कूल में जाकर देखा प्रसारण
बभनपुरवा निवासी वेदप्रकाश तिवारी के घर पर तो टेलीविजन नहीं है। भूमि पूजन से संबंधित प्रसारण देखने के लिए सुबह नौ बजे से ही सरस्वती विद्या मंदिर, रामसनेहीघाट पहुंच गए। आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी का प्रतिफल मिलने के उल्लास में डूबे वेदप्रकाश बताते हैं कि वर्ष 1984 से राममंदिर के लिए हुए आंदोलन के समय से जुड़े हुए हैं और आज तक हुए सभी आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी की। एक संस्मरण साझा करते हुए बताया कि 1984 में अयोध्या से संत पैदल लखनऊ पैदल जा रहे थे, जिन्हें पटेल स्कूल में रोका गया और उनके लिए भोजन की व्यवस्था कराने को कहा गया। रामकृपा से इतने ज्यादा लंच पैकेट बन गए कि ट्रक ड्राइवरों में बांटे गए। उन्होंने भूमि पूजन को जीवन का अविस्मरणीय क्षण बताया।