दरिद्रनारायण की सेवा कर छा गए छापरवाल
बाराबंकी :श्रीराम वन कुटीर आश्रम हड़ियाकोल जंगल के ऑपरेशन शिविर में दरिद्र नारायण की सेवा कर डॉ. जेके
बाराबंकी :श्रीराम वन कुटीर आश्रम हड़ियाकोल जंगल के ऑपरेशन शिविर में दरिद्र नारायण की सेवा कर डॉ. जेके छापरवाल और डॉ. जैकब प्रभाकर सबके दिलों पर छा गए। उदयपुर राजस्थान के निवासी डॉ. जुगुल किशोर छापरवाल व डॉ. जैकब प्रभाकर वर्ष 1982 से निरंतर श्रीराम वन कुटीर आश्रम हड़ियाकोल में ऑपरेशन शिविर आयोजित करा रहे हैं । इनकी टीम ने इस बार नेत्र, ट्यूमर, हार्निया, हाइड्रोसील, पाइल्स आदि के 2875 ऑपरेशन किए। इसमें 2175 ऑपरेशन मोतिया¨बद के हैं।
इन डॉक्टरों के बारे में एकला चले कारवां बनता गया की पंक्ति भी सटीक बैठती है। इनके साथ एक-एक कर सेवाभावी डॉक्टर जुड़ते गए। इस प्रकार 12 लोगों के मोतिया¨बद ऑपरेशन से शुरू यह शिविर आज स्वास्थ्य सेवा का महाकुंभ बन गया है।
राम कथा सुन हुए राम के : डॉ. जुगुल किशोर (जेके) छापरवाल ने बताया कि वर्ष 1981 में आश्रम के स्वामी रामदास (अब ब्रह्मलीन) उदयपुर राजस्थान में श्रीराम कथा सुनाने गए थे। कथा के साथ उनके विचार सुनकर प्रभावित हुए। चमनलाल धर्मशाला में शाम को उदयपुर के रवींद्र नाथ टैगोर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य नेत्र सर्जन डॉ. एसपी माथुर, नेत्र सर्जन एचएस चुंडावत व सर्जन डॉ. आरके अग्रवाल के साथ मिले। स्वामी जी ने बड़ी आत्मीयता से कहा आप लोग शहरी डॉक्टर हो क्या हमारे जंगल में मंगल करने आओगे? एक साथ सभी के मुंह से 'जरूर स्वामी जी' निकला। वर्ष 1982 में जनवरी माह में पहला नेत्र ऑपरेशन शिविर लगा। हम लोग बाराबंकी बस स्टेशन से पैदल कंधे पर बैग टांग कर आश्रम तक पहुंचे थे। शिविर में 12 ऑपरेशन हुए थे मगर इतना आत्म संतोष मिला कि दूसरे साल 1983 में पथरी, हार्निया, हाइड्रोसिल व ट्यूमर जैसे ऑपरेशन भी किए गए। 1984 में डॉ. आरके अग्रवाल के साथ बाबादीन नामक निर्धन का आठ किलो का हाइड्रोसिल ऑपरेशन किया। चूना पत्थर जम गया था जिसे आरी से काटना पड़ा था। आठ घंटे तक ऑपरेशन चला था। हम लोगों के सामने यह जटिल केस था लेकिन डॉ. अग्रवाल ने कहा कि जब भगवान साथ हैं तो डरने की क्या बात है। इसके बाद के शिविर में लखीमपुर की रानी नामक महिला के पेट से 24 किलो के ट्यूमर का ऑपरेशन किया जिसे हर जगह से निराशा मिली थी।