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..यहां पटाखे के नाम से सहम जाते हैं बच्चे

धारूपुर में आज भी लोग पटाखा के नाम से सहम जाते हैं। यहां पिछले वर्ष हुए भीषण धमाके में कई घरों के परखच्चे उड़ गए थे। दो की मौत हो गई थी और छह से अधिक लोग घायल हुए थे। एक सप्ताह में तीन से अधिक धमाके हुए थे। इस दौरान कई दिनों बाद लोग अपने घरों में लौटे थे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 12:01 AM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 06:00 AM (IST)
..यहां पटाखे के नाम से सहम जाते हैं बच्चे
..यहां पटाखे के नाम से सहम जाते हैं बच्चे

बाराबंकी : धारूपुर में आज भी लोग पटाखा के नाम से सहम जाते हैं। यहां पिछले वर्ष हुए भीषण धमाके में कई घरों के परखच्चे उड़ गए थे। दो की मौत हो गई थी और छह से अधिक लोग घायल हुए थे। एक सप्ताह में तीन से अधिक धमाके हुए थे। इस दौरान कई दिनों बाद लोग अपने घरों में लौटे थे। प्रस्तुत है आतिशबाजी के दुप्प्रभावों से अवगत कराती रिपोर्ट..

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रामसनेहीघाट तहसील क्षेत्र के धारूपुर गांव में 25 दिसंबर 2018 को हुए धमाके में कई घर जमींदोज हो गए थे। जागरण टीम ने बुधवार को गांव पहुंचकर पड़ताल की तो विस्फोट में गिरे घरों में सिर्फ अब्दुल रऊफ का ही घर बना मिला। धमाके में मृत मो. वैश की पत्नी ने गांव छोड़कर दूसरे गांव बेलांव में रहने लगी है। गांव की राबिया ने बताया कि जब विस्फोट हुआ तो पड़ोस में थी, इसलिए जान बच गई। उसका घर पूरी तरह से नष्ट हो गया था। हमीद, मजीद, फारूक, अब्दुल कादिर ने दोबारा मकान बनवा लिया। धमाके का मुख्य आरोपित हसीब अभी जेल से छूटा नहीं है। वसीकुल बताती हैं कि घटना दिल दहला देने वाली थी, अब तो बच्चे पटाखों के नाम से डर जाते हैं। दो माह तक गांव नहीं आई, मायके में ही रही। धमाके में घायल बारह वर्षीय मिथुन बताता है कि तेज धूप में उसके शरीर में छाले पड़ जाते हैं। अब धारूपुर गांव ही नहीं बल्कि आस-पास के गांव के बच्चों ने भी पटाखा जलाना भी छोड़ दिया है।

इनसेट : यह हुई थी बरामदगी

-आठ ड्रम खुला सिल्वर कलर का पाउडर करीब 580 किलो।

-12 बोरी काले रंग का पाउडर करीब 510 किलो।

-10 बोरी पीले रंग का पाउडर 385 किलो।

-नौ बोरी सफेद रंग का पाउडर 385 किलो।

-फ्यूज पलीता चार बोरी 40 किलो।

-धागा व छह बोरी कागज की नलकी।

-नौ झाल लकड़ी का बुरादा।

-चार बोरी महताब, चार बोरी फुलझड़ी।

-कंपनी निर्मित आसमानी पटाखे आठ गत्ता।

-खाली अनार कुल्हड़ तीन बोरी।

-पटाखा बम 12 बोरी।

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यहां दीवाली पर नहीं जलते हैं पटाखे : जैदपुर कस्बे के एक मुहल्ले में आतिशबाजी से हुए विस्फोट में चार की मौत हुई थी। दिन से कोई भी फुलझड़ी तक नहीं जलाता है। बदोसराय में मो. रहीम के घर विस्फोट में तीन की मौत हुई थी। यहां के दिशान, रहीन ने बताया कि विस्फोट के बाद से पटाखों का कारोबार न के बराबर है। रामसनेहीघाट के भिटरिया में आतिशबाजी बनाने समय हुए हादसे में चार लोगों की मौत हो गई थी।


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