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शरद पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने अभरन में किया स्नान और पूजन

कोटवाधाम और धन्नाग तीर्थ श्रद्धालु पहुंचे। बड़े बाबा के दर्शन के लिए श्रद्धालु कतारों में दिखाई दिए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Nov 2020 01:16 AM (IST)Updated: Sun, 01 Nov 2020 01:16 AM (IST)
शरद पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने अभरन में किया स्नान और पूजन
शरद पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने अभरन में किया स्नान और पूजन

बाराबंकी : आस्था और श्रद्धा का केंद्र कोटवाधाम में लॉकडाउन के बाद शरद पूर्णिमा के अवसर पर रौनक दिखाई दी। बड़े बाबा के दर्शन के लिए श्रद्धालु कतारों में दिखाई दिए। बाबा की तपोस्थली पर मेला जैसा नजारा रहा।

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दरियाबाद ब्लाक के कोटवाधाम में शरद पूर्णिमा पर समर्थ श्री जगजीवन साहेब दास बड़े बाबा के दरबार में श्रद्धालु उमड़े। अभरन में भोर के वक्त पुरुष और महिलाओं ने स्नान कर बड़े बाबा समर्थ श्री जगजीवन साहेब दास की तपोस्थली पर मत्था टेका। दर्शन के लिए बड़े बाबा की समाधि स्थल का एक गेट खोला गया। कोविड प्रोटोकॉल के तहत बैरीकेडिंग कर श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए कतार में खड़े होने की व्यवस्था की गई थी। श्रद्धालु प्रसाद चढ़ाकर और मत्था टेकने के बाद आगे बढ़ते रहे। सुबह से ही काफी संख्या में लोग कतार में दिखाई दिए। परिसर बड़े बाबा के जयकारों से गुंजायमान रहा। वहीं, परिसर के बाहर मेला सरीखा माहौल था। बच्चे भी काफी उत्साहित दिखे। मिठाई, चाट, खिलौने और श्रृंगार की वस्तुओं की दुकानों पर लोग खरीददारी करते दिखे। वहीं, दिन चढ़ने के साथ श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला चलता रहा।

अभरन में आचमन : कोटवाधाम में स्थित अभरन सरोवर में प्रसाद चढ़ाने से पूर्व भक्तगण आचमन करते हैं। कोई स्नान करता है तो कोई आचमन कर पवित्र जल से खुद को पवित्र करता है। भोर में तमाम भक्तों ने अभरन सरोवर में स्नान कर बड़े बाबा की तपोस्थली पर मत्था टेक कर कामना की। मान्यता है कि अभरन में स्नान करने से सारे कष्ट दूर होते हैं और पुण्य मिलता है।

धन्नाग तीर्थ पहुंचे श्रद्धालु : निदूरा में शरद पूर्णिमा के पावन पर्व पर शनिवार को प्रसिद्ध धन्नाग तीर्थ पर सुबह से ही श्रद्धालुओं को तांता लगा रहा। दूर-दराज क्षेत्रों और विभिन्न जनपदों से पहुंचे श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में डुबकी लगाने के बाद पूजा-अर्चना कर धन्नागी बाबा का आशीर्वाद लिया और जयकारा लगाया। धन्ना तीर्थ विकास एवं जन कल्याण समिति के अध्यक्ष राम लखन शुक्ला ने बताया कि रात में मंदिर प्रांगण में भजन-कीर्तन भी आयोजित किया गया। तीर्थ पर लगा सेवा शिविर, जो कि समरसता शिविर के नाम से जाना जाता है। पांच से सात दिसंबर तक आयोजित किया जाएगा।


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