कोरोना से जंग में ढाल बने अफसर, जोखिम उठा निभाए दायित्व
कोरोना संक्रमण के दौरान विभिन्न क्षेत्रों की तरह प्रशासनिक क्षेत्र से जुड़े लोगों ने भी अहम भूमिका निभाई है। इनमें मुख्य विकास अधिकारी मेधा रूपम और रामसनेहीघाट के तहसीलदार तपन मिश्र शामिल हैं जिन्होंने कोरोना संक्रमण काल में समन्वय स्थापित कर पारिवारिक दायित्वों पर प्रशासनिक दायित्वों को तरजीह दी है।
दीपक मिश्रा, बाराबंकी कोरोना संक्रमण के दौरान विभिन्न क्षेत्रों की तरह प्रशासनिक क्षेत्र से जुड़े लोगों ने भी अहम भूमिका निभाई है। इनमें मुख्य विकास अधिकारी मेधा रूपम और रामसनेहीघाट के तहसीलदार तपन मिश्र शामिल हैं, जिन्होंने कोरोना संक्रमण काल में समन्वय स्थापित कर पारिवारिक दायित्वों पर प्रशासनिक दायित्वों को तरजीह दी है।
अग्रिम मोर्चा संभाल निभाई जिम्मेदारी 2014 बैच की आइएएस मेधा रूपम ने लॉकडाउन शुरू होने के बाद से ही कोविड अस्पतालों को आरक्षित कर कार्यभार अपने जिम्मे ले लिया। डीएम डॉ. आदर्श सिंह के निर्देशन में संक्रमित लोगों को अस्पताल में भर्ती करवाकर अच्छी सेवाएं दिलाईं। कार्यालयों और गांवों को सैनिटाइज कराने के साथ ही प्रवासियों को ठहराने और उनके रोजगार का भी इंतजाम किया। करीब पौने दो लाख परिवार को मनरेगा में काम दिलाया। प्रशिक्षित प्रवासियों को जिला उद्योग केंद्र, खादी ग्रामोद्योग, उद्यान, ग्राम्य विकास में तो समूह की महिलाओं से ड्रेस सिलने, राशन वितरण, खेती किसानी, मास्क बनाने का कार्य करवाया। संक्रमण काल के दौरान अपनी जान की परवाह किए गए बगैर जहां प्रशासनिक दायित्वों का निर्वहन किया, वहीं दो साल की बेटी को काम देखने वाली के जिम्मे छोड़कर उसके करीब जाने से कतराती रहीं। हां, शाम को घर पहुंचने पर कोविड नियमों का पालन करते हुए उससे जरूर मुखातिब हुईं।
जन्म के छह माह बाद बेटे का किया दीदार
रामसनेहीघाट तहसीलदार तपन मिश्र ने भी लॉकडाउन में पारिवारिक दायित्वों पर प्रशासनिक जिम्मेदारियों को ही तरजीह दी। प्रवासियों को भोजन, नाश्ता कराने से लेकर गंतव्य तक पहुंचाने तक की व्यवस्था करने में जुटे। 14 मई को हाईवे किनारे करीब 25 साइकिल सवारों को रोका और जानकारी की तो पता चला कि 12 दिन पहले महाराष्ट्र से झारखंड के लिए यह निकले थे। सभी को भोजन कराने के बाद सभी को एक ट्रक में बैठाकर रवाना किया। प्रवासियों को भोजन आदि की उपलब्धता में भी सहयोग किया। इतना नहीं 19 मई को पहली बार पिता बनने पर बेटे का दीदार सिर्फ मोबाइल से किया। करीब छह माह बाद उससे मिलने पहुंच सके।