किसानों की बल्ले-बल्ले! सिंथेटिक या नेचुरल? अब इस तरीके से एक नजर में पहचानिए Mentha Oil की असलियत
Mentha Oil Barabanki | बाराबंकी में मेंथा ऑयल किसानों के लिए खुशखबरी! सीमैप के प्रयासों से प्राकृतिक और सिंथेटिक मेंथा ऑयल के कोड अब अलग-अलग होंगे। इससे उत्पादों की पहचान आसान होगी और किसानों को सही मूल्य मिलने की उम्मीद है। बाराबंकी में 80% मेंथा उत्पादन होता है जिससे इस बदलाव का सीधा लाभ किसानों को मिलेगा। मेंथा से बने प्रत्येक उत्पाद में कोड अंकित किए जाएंगे।

दीपक मिश्रा, बाराबंकी। केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) की ओर से प्राकृतिक और सिंथेटिक मेंथा ऑयल के कोड अलग-अलग करने की कार्ययोजना पर केंद्र सरकार की मुहर लग गई है। अभी तक दोनों कोड एक ही थे, जिससे लोगों को सिंथेटिक और प्राकृतिक मेंथा ऑयल से बने उत्पादों की जानकारी नहीं हो पाती थी।
अब दोनों प्रकार के मेंथा ऑयल को पहचानना आसान हो गया है। प्राकृतिक का कोड एचएस 29061110 और सिंथेटिक मेंथा ऑयल का कोड नंबर एचएस 29061190 निर्धारित कर दिया गया है। मेंथा से बने प्रत्येक उत्पाद में कोड अंकित किए जाएंगे, इसके लिए कंपनियों को पत्र लिख दिया गया है।
बाराबंकी से होता है 80 प्रतिशत उत्पादन
मेंथा उत्पादन में बाराबंकी की हिस्सेदारी प्रदेश में 80 प्रतिशत है। मेंथा ऑयल की सबसे अधिक आपूर्ति बाहर होती है, लेकिन किसानों को इसका सही मूल्य नहीं मिलता है। इसके पीछे कारण था कि कोड एक होने से सिंथेटिक व प्राकृतिक मेंथा ऑयल से बने उत्पाद की पहचान न हो पाना। यही नहीं, मेंथा से बनने वाले उत्पाद पर प्राकृतिक और सिंथेटिक भी लिखना अनिवार्य होगा।
सीमैप के निदेशक डॉ. राजेश कुमार वर्मा ने बताया कि बाराबंकी ऐसा क्षेत्र है, जहां प्रदेश में सबसे अधिक मेंथा उगाया जाता है। 80 प्रतिशत मेंथा ऑयल जिले से आयात होता है, जबकि सीतापुर, बरेली, रामपुर, मेरठ, बदायूं, फतेहपुर 20 प्रतिशत मेंथा ऑयल का आयात करते हैं।

उनका कहना है कि केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) के तहत विदेश व्यापार महानिदेशक ने कोड नंबर जारी कर दिया है। अब कोड अलग होते ही प्रत्येक उत्पादन पर कंपनियों को यह लिखना अनिवार्य हो जाएगा कि जो उत्पादन उन्होंने तैयार किया है, वह प्राकृतिक मेंथा ऑयल से बना है या सिंथेटिक से। कोड अलग होने से प्राकृतिक मेंथा की मांग बढ़ जाएगी और किसानों को उनका उचित मिलना शुरू हो जाएगा।
उन्होंने बताया कि इधर 10 वर्षों से 1200 रुपये प्रतिकिलो मेंथा ऑयल से ऊपर भाव नहीं गया है, क्याेंकि सिंथेटिक मेंथा ने बाजार में अपना क्षेत्र कवर कर लिया है। सिंथेटिक मेंथा ऑयल 30 से 40 प्रतिशत सस्ता भी है, इसलिए उत्पादन कंपनियां की ओर से प्राकृतिक मेंथा की मांग घटी है।
कई प्रदेशों के लिए बना रोल मॉडल
अंतरराष्ट्रीय बाजार में मेंथा आयल की दर बाराबंकी से तय होती है। यहां सवा लाख हेक्टेयर में तीन लाख किसान मेंथा की खेती करते हैं। फसल 80 से 85 दिनों में तैयारी हो जाती है। बिहार, मध्यप्रदेश, हरियाणा में भी बाराबंकी की तर्ज पर मेंथा की खेती होती है।
मेंथा की अच्छी प्रजाति
मेंथा खेती के लिए सिम उन्नति, सिम कोशी, सिम कुशल, कालका, हिमालय, गोमती, सिम सरयू, सिम क्रांति और गोल्ड की प्रजाति सबसे अच्छी मानी जाती है। इनसे अधिक तेल प्राप्त होता है।
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