रैन बसेरा बदहाल, रजाई न पुआल
ठ्ठद्बद्दद्धह्ल ह्यद्धद्गद्यह्लद्गह्म ठ्ठद्बद्दद्धह्ल ह्यद्धद्गद्यह्लद्गह्म
बाराबंकी : सर्द रातों में आमजन का जीना दुश्वार हो गया है। प्रशासनिक इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं। शहर में अलाव भी ठंडे हैं। रैन बसेरों में महज गंदी दरी बिछी है। रजाई गायब है तो कहीं पन्नी भी फटी है। इससे सर्द रातों में चल रही ठंडी हवा में लोग ठिठुरने को विवश हो रहे हैं। शुक्रवार की रात शहर के रैन बसेरों और अलाव की स्थिति की जागरण टीम ने पड़ताल की। प्रस्तुत है वी.राजा और छायाकार नवनीत तिवारी की रिपोर्ट ..
दृश्य एक : रात आठ बजकर 35 मिनट, रेलवे स्टेशन
रैन बसेरा जहां प्लास्टिक की पन्नी फटी थी। यहां पर बताया गया कि चादर गंदी हो गई है। अयोध्या जाने के लिए ट्रेन का इंतजार कर रहे रेलयात्री अर्पित ने बताया कि ट्रेन विलंब है। इसलिए यहां पर बैठा हूं। लेकिन, पन्नी फटी होने से हवा आ रही है। बिहार गया से वापस लौटे धर्मेंद्र बताते है कि हमलोग अभी ट्रेन से आए हैं। रात हो गई है। इसलिए यहीं रुकेंगे। रजाई से दुर्गंध आ रही है। ड्यूटी पर लगे पंचायत बंकी के रामसेवक बताते हैं कि मेरी ड्यूटी यहां पर लगी है। जो कमी है उसे दूर किया जाएगा। दृश्य दो : रात आठ बजकर 40 मिनट, पटेल तिराहा
रैन बसेरा में न तो रजाई थी और न ही पुआल बिछा दिखा। यहां गंदी दरी बिछी थी। जैसे ही जागरण की टीम पहुंची तो तपाक से एक व्यक्ति पहुंचा कहा कि अरे जल्दी रजाई लाओ, पुआल बिछाओ लेकिन तबतक फोटो खींची जा चुकी थी। बहराइच के मो. कासिम कहते हैं कि दिहाड़ी मजदूर हैं। यहां मजदूरी करते हैं, लेकिन रैन बसेरा सिर्फ दिखावा है। यहां कोई इंतजाम नहीं है। वहीं देवा के दीपक ¨सह कहते हैं कि दरी भी गंदी है। दृश्य तीन: रात आठ बजकर 40 मिनट, बंकी ब्लॉक के सामने
यहां बने रैन बसेरा में दो लोग सो रहे थे। नंदू ने बताया कि यहां पर अलाव की लकड़ियां जो डाली जाती है वह नम होती है। जलती नहीं हे। हम लोग कूड़ा करकट जलाकर किसी तरह से सर्दी में अलाव जलाते हैं। ------------------ रैन बसेरा में अगर पुआल व रजाई की व्यवस्था नहीं है सीधे तौर पर ईओ जिम्मेदार है। इसके लिए उन पर कार्रवाई की जाएगी। स्वयं रैन बसेरा का निरीक्षण कर स्थिति देखेंगे। संदीप गुप्ता, एडीएम, बाराबंकी। फैक्ट फाइल
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