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झाडफूंक के चक्कर में उलझती परी करने लगती हत्या का प्लान

डायन की आशंका में ओझा, बाबा, तांत्रिक कोई भी तो नहीं बचा, जिससे झाडफ़ूंक न कराई गई हो। कोई नर पिसाच बताता तो कोई मलेच्छ जिन्नाद का साया की बात कहता।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 01 Apr 2018 05:06 PM (IST)Updated: Sun, 01 Apr 2018 07:50 PM (IST)
झाडफूंक के चक्कर में उलझती परी करने लगती हत्या का प्लान
झाडफूंक के चक्कर में उलझती परी करने लगती हत्या का प्लान

बाराबंकी (जेएनएन)। परी बीएससी की छात्रा (नाम काल्पनिक) है। ऐसे में चमत्कार को नमस्कार करने में उसे भरोसा नहीं पर क्या करे मानसिक रोग ही ऐसा लगा कि बाजार में दुकान पर मीट टंगा देख उसकी जीभ लपलपानेे लगती। घर में मीट पाती तो कच्चा खा जाती। मां-बाप रोकते तो वह उनकी हत्या की कोशिश का प्लान बनाने लगती। इन हरकतों से परिवारीजन उसके अंदर डायन होने की आशंका तक जताने लगे। ओझा, बाबा, तांत्रिक कोई भी तो नहीं बचा, जिससे झाडफ़ूंक न कराई गई हो। कोई बताता नर पिसाच पकड़े है तो कोई मलेच्छ जिन्नाद का साया होने की बात कहता। आर्थिक व मानसिक रूप से परेशान परी के पिता को किसी ने जिला चिकित्सालय के मानसिक रोग विभाग की राह दिखाई। दो माह पहले मानसिक विशेषज्ञ डॉ. सौरभ मिश्र ने परी की कहानी सुनी, तो उन्हें कोई हैरानी नहीं हुई। बोले एकदम ठीक हो जाएगी नियमित दवाइयां खाने के बाद परी वाकई में परी की तरह हंसने खिलखिलाने लगी। परिवार की खुशियां वापस लौट आई हैं। 

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हवा में बातें करती थी नवविवाहित रुबी

विवाह के 25 दिन बाद रुबी (कल्पनिक नाम) के व्यवहार में बदलाव आने लगा। उसे लोगों की बातें सुनाई देने लगी। धीरे-धीरे वह उसे दिखाई भी देने लगे और उससे सीधे बातें करने लगे। परिवार के मरे हुए लोग भी दिखाई देने लगे। पति अच्छें नहीं, सास खराब है जैसी बातें करते। एक दिन रुबी ने छत से छलांग लगा आत्महत्या की कोशिश की। जमीन कच्ची होने से सिर्फ उसका पैर टूटा पर जान बच गई। नई-नवेली दुल्हन का यह व्यवहार देख रूबी के मायके वालों व ससुराल वालों में ठन गई। जितने मुंह उतनी तरह की बातें होने लगी। समझदार पति ने परिवारीजनों के कहने पर दो-चार जगह झाडफ़ूंक भी कराई पर बाद में जिला चिकित्सालय में मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. शौरभ मिश्र से मिला। डॉ. मिश्र ने दवाएं शुरू की तो रूबी की स्थिति सामान्य हो गई। दोनों परिवारों की खुशियां बहाल हो गई। 

12 हजार रोगी हो चुके लाभान्वित

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सितंबर 2015 में जिला चिकित्सालय में मानसिक रोग विभाग पुरानी इमरजेंसी भवन में संचालित है। हर दिन औसतन 50-60 मरीज यहां आते हैं। अब तक यहां से लाभान्वित होने वाले मरीजों की संख्या 12 हजार हो चुकी है। 

इन लक्षणों से हो सकती मानसिक समस्या 

मानसिक रोग विशेषज्ञ सौरभ मिश्र का कहना है कि मानसिक रोग पागलपन नहीं होता है। इसके बारे में संकोच नहीं करना चाहिए। नींद आना, तनाव, उलझन, घबराहट, बेचैनी, चिड़चिड़ापन, किसी बारे में जरूरत से ज्यादा चिंतित रहना, जीवन के प्रति निराशा, आत्महत्या जैसे विचार आना, छोटी-छोटी बातों में आप को दोषी ठहराना, भूत-प्रेत व जिन्न डायन आदि की छाया का भ्रम होना, क्षमता से अधिक बड़ी-बड़ी बातें करना,हिंसक व उग्र व्यवहार करना, किए गए कार्य को बार-बार चेक करना, जरूरत से ज्यादा सफाई, उम्र के साथ याददाश्त में कमी होन, बच्चों का पढ़ाई में ध्यान न लगान, बौद्धिक क्षमता की कमी, मिर्गी, बेहोशी, नशीले पदार्थों का सेवन, पुरुषार्थ में कमी एवं धात जैसी समस्याएं मानसिक समस्या हो सकती हैं। 


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