पंजीकृत आठ, चल रहे एक सैकड़ा आरओ प्लांट
जल प्लांट के अवैध कारोबार से छान रहे दाम
बाराबंकी : जलसंकट की आहट के बीच जल का अंधाधुंध दोहन जारी है। इसको लेकर अफसर बेपरवाह हैं तभी तो जिलेभर में महज आठ प्लांट पंजीकृत होने के सापेक्ष करीब सौ से अधिक प्लांट संचालित हैं। पानी तैयार करने में 45 प्रतिशत जल बेकार हो रहा है। यही सेहत के लिए सबसे खतरनाक अमोनिया मिलाकर पानी ठंडा करते हैं।
भूजल में टोटल डिजाल्व सॉल्डिस (टीडीएस) और आर्सेनिक होने की आशंका के कारण लोगों का झुकाव आरओ पानी की तरफ हुआ है। प्रदूषित भूजल को लेकर बढ़ी जागरूकता के चलते जिले भर में आरओ पानी मुहैया कराने का कारोबार जोर पकड़ता जा रहा है। लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के नाम पर धंधा कर रहे अधिकतर वाटर प्लांट मानक को पूरा नहीं करते हैं। अभी तक किसी भी वाटर प्लांट में मानकों की जांच नहीं की गई और न ही प्रशासन इस दिशा में गंभीर है। नगर पालिका परिषद नवाबगंज, सफेदाबाद, बंकी नगर पंचायत समेत नगर निकायों व ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध रूप से पानी के प्लांट लगे हुए हैं। प्रतिदिन लाखों लीटर पानी प्रयोग हो रहा है। बताया जाता है कि पानी को शुद्ध करने के बाद 55 प्रतिशत ही बचता है यानी 45 फीसद पानी बेकार हो जाता है। पानी के व्यवसायी एक जार पानी को 20 से 30 रुपये में और बड़ा जार 30 रुपये से लेकर 50 रुपये में बेच रहे हैं।
यहां होता है कारोबार : बेलहरा के ग्राम जैतीपुर में, सूरतगंज कस्बे में प्लांट लगा है। इससे प्रतिदिन 16 सौ लीटर से अधिक पानी की सप्लाई होती है। निदूरा के कस्बा कुर्सी व टिकैतगंज में लगे प्लांट से कुर्सी, अनवारी, उमरा, टिकैतगंज, पिडसावां, बाबागंज, घुंघटेर आदि कस्बों में सप्लाई होती है। रामसनेहीघाट में चार पानी के प्लांट लगे हुए हैं। इनसे रोजाना करीब 4000 लीटर पानी सप्लाई किया जाता है। सतरिख नगर पंचायत में थाने के सामने प्लांट चल रहा है। क्षमता एक घंटे में 500 लीटर पानी फिल्टर करने की बताई गई है।
'14 निरीक्षण किए गए, जिसमें 11 नमूने भरे गए। जो परीक्षण के लिए आगरा प्रयोगशाला भेजा गया है। पानी का परीक्षण लगातार होता रहता है। जिले में कुल आठ पानी की प्लांट पंजीकृत हैं।'
-टीआर रावत, अभिहीत अधिकारी, खाद्य एवं औषधि विभाग।