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महादेव सरोवर में नहीं बचा आचमन भर को पानी

बाराबंकी प्राकृतिक जलस्रोत दब जाने और देखरेख के अभाव में सूख गया तालाब। पशु पक्षी हैं हैरान।भ्

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Jun 2020 01:07 AM (IST)Updated: Mon, 15 Jun 2020 01:07 AM (IST)
महादेव सरोवर में नहीं बचा आचमन भर को पानी
महादेव सरोवर में नहीं बचा आचमन भर को पानी

बाराबंकी : एक ओर जहां केंद्र और राज्य की सरकारें जल संरक्षण को लेकर समाज को जागरूक और पानी की महत्ता बताने का प्रयास कर रही हैं, वहीं शक्तिधाम महादेव तालाब स्थित महादेव सरोवर में भी पानी का संकट उत्पन्न हो गया। पानी से भरा रहने वाला यह सरोवर देखरेख और प्राकृतिक जल स्त्रोतों के दब जाने से पानी के लिए दूसरे संसाधनों पर आश्रित हो गया है। पौराणिक महत्व रखने वाला यह सरोवर लोगों को आचमन तो दूर पक्षियों की प्यास भी नहीं बुझा पा रहा है। हजारों की संख्या में जलजीव सरोवर के प्रति श्रद्धालुओं की शोभा बढ़ाया करते थे, मगर अब बिन पानी सब सून वाली स्थिति हो गयी।

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सरोवर का है पौराणिक महत्व : महाभारत कालीन महादेव सरोवर पौराणिक महत्व रखता है। मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित श्याम लाल पाठक बताते है कि शरद पूर्णिमा की आधी रात श्वास रोगी इसी सरोवर में स्नान करके दवाई ग्रहण करते हैं तो उन्हें रोग से छुटकारा मिल जाता है। इसके अतिरिक्त क्षेत्र के हजारों श्रद्धालु देव दीपावली पर्व पर सरोवर की पूजा अर्चना करने उमड़़ते हैं।

इनसेट : कमल सरोवर के नाम से विख्यात रहा

शक्तिधाम महादेव परिसर स्थित सरोवर को क्षेत्रीय लोग कमल सरोवर के नाम से भी जानते हैं। पंडित अखिलेश शास्त्री बताते है कि इसमें कमल के फूल कभी मुरझाया नहीं करते थे। कहते हैं कि कमल के पुष्प से ही परिसर स्थित सभी मंदिर का श्रृंगार किया जाता रहा है।

सुंदरीकरण पर लाखों खर्च : किसी जमाने में पानी से लबालब रहने वाले महादेव सरोवर के सुंदरीकरण पर भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा लाखों की धनराशि भी व्यय की जा चुकी है, मगर स्थिति जस की तस बनी है।

महादेव सरोवर की दुर्दशा पर श्रद्धालुओं की शिकायत का विधायक साकेंद्र प्रताप वर्मा ने संज्ञान लिया है।उन्होंने कहा कि यह सरोवर क्षेत्रीय जनता के विभिन्न मांगलिक, धार्मिक व सांस्कृतिक सरोकारों से जुड़ा रहा है। सरोवर की खोदाई व जल स्त्रोत का स्थायी समाधान शीघ्र करवाया जाएगा।


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