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'लक्ष्मीजी ने बलि को राखी बांध विष्णु को कराया मुक्त'

बाराबंकी : हरख ब्लॉक के बरेहटा गांव में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में व्यास पंडित सुशील क

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 11:48 PM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 11:48 PM (IST)
'लक्ष्मीजी ने बलि को राखी बांध विष्णु को कराया मुक्त'
'लक्ष्मीजी ने बलि को राखी बांध विष्णु को कराया मुक्त'

बाराबंकी : हरख ब्लॉक के बरेहटा गांव में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में व्यास पंडित सुशील कुमार मिश्र 'जिद्दी बाबा' ने राजा बलि के यहां से भगवान विष्णु को मुक्त कराए जाने की कथा सुनाई।

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उन्होंने बताया कि बावन (बौने ब्राह्मण) रूप धारण कर तीनों लोक तीन पग में नापने के बाद राजा बलि ने आधे पग जमीन के लिए अपना शरीर जब आगे कर दिया तो भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर अपना चर्तभुजी रूप प्रकट किया और आशीर्वाद मांगने को कहा। तब राजा बलि ने कहा कि हे प्रभु मैं जब भी अपने आवास से निकलूं आप इसी चर्तुभुज रूप में हमें दर्शन दो। भगवान विष्णु ने राजा बलि को वरदान दे दिया और उनके ही आवास में रहने लगे। जिस दरवाजे से राजा बलि निकलता भगवान खड़े मिलते। उन्हें इससे मुक्त होने का कोई उपाय नहीं सूझा तो लक्ष्मीजी का ध्यान किया। लक्ष्मी जी राजा बलि के दरबार में रक्षा बंधन के दिन पहुंची और राखी बांधने के बाद बावन रूप में उनके यहां रहे रहे भगवान विष्णु को मांग लिया। राजा बलि तुंरत समझ गया कि लक्ष्मीजी हैं जो राखी बांधने के उपहार स्वरूप बावन रूपी भगवान विष्णु को मांगने आई हैं। दानवीर राजा बलि ने भगवान विष्णु को लक्ष्मीजी के साथ जाने की अनुमति दे दी। तब वह लक्ष्मीजी के साथ छीरसागर पहुंचे।

इस मौके पर तेज प्रताप शुक्ल, नंद किशोर, देवकीनंदन, राम प्रसाद, शुभम अवस्थी, राजेश कुमार आदि मौजूद रहे।


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