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गतिविधियों में बढ़ाएं बच्चों की भागीदारी, होगा मानसिक विकास

संवारें बचपन विद्यालयों में साहित्यिक सांस्कृतिक और खेल गतिविधियों से जोड़े जाएं अधिकाधिक बचे प्रतियोगिताओं में चक्रानुक्रम में कराई जाए भागीदारी कार्यक्रमों में माता-पिता को भी किया जाएं आमंत्रित

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Jun 2022 12:31 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jun 2022 12:31 AM (IST)
गतिविधियों में बढ़ाएं बच्चों की भागीदारी, होगा मानसिक विकास
गतिविधियों में बढ़ाएं बच्चों की भागीदारी, होगा मानसिक विकास

बाराबंकी : बच्चों में मोबाइल की बढ़ती लत और उनके व्यवहार में आ रहे बदलाव को लेकर अभिभावक भी सजग हो रहे हैं। उन्होंने घर के माहौल को सुधारने के प्रयास करने शुरू कर दिए हैं। साथ ही विद्यालयों में साहित्यिक, सांस्कृतिक और खेल की गतिविधियों में रुचि के मुताबिक बच्चों की भागीदारी बढ़ाने पर बल दे रहे हैं। अभिभावक ऋचा शर्मा और अभिषेक त्रिवेदी मोनू का मानना है कि गतिविधियों में बच्चों की सहभागिता बढ़ने से जहां उनका स्कूल जाने के प्रति रुझान बढ़ेगा वहीं ज्यादा समय तक मोबाइल देखने की लत में भी सुधार आएगा। उनका कहना है कि बच्चों की खेल गतिविधियों में संबंधित बच्चों के माता को भी आमंत्रित किया जाना चाहिए। ताकि वह बच्चों को गतिविधियों और प्रतियोगिताओं में भागीदारी करने की तैयारी करा सकें। जागरण से अभिभावकों और शिक्षकों से बातचीत की।

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'गतिविधियों में भागीदारी का बनाया जाए चक्रानुक्रम'

अमलोरा के विनय मिश्र की बेटी श्रद्धा कक्षा सात और बेटा कक्षा तीन में पढ़ता है। वह बताते हैं कि कोरोना संक्रमण काल में आनलाइन क्लास के चलते बच्चे गेम भी खेलने लगे थे। अब धीरे-धीरे उन्हें गतिविधियों से जोड़कर उनका मोबाइल के प्रति रुझान कम कर रहे हैं। स्कूल प्रबंधन से बच्चों को अलग-अलग गतिविधियों से जोड़े जाने के संबंध में बात करेंगे। सत्यप्रेमीनगर के अभिषेक त्रिवेदी मोनू के बेटे अक्षत और शाश्वत क्रमश: कक्षा चार और दस में पढ़ते हैं। वह बताते हैं कि सभी बच्चों की भागीदारी हो सके इसके लिए विद्यालय में होने वाली गतिविधियों में चक्रानुक्रम अपनाने को कहूंगा। घर में भी बच्चों के साथ खेलने में समय देता हूं।

'सुधार की शुरुआत स्वयं और घर से करें'

राष्ट्रपति से सम्मानित शिक्षक आशुतोष आनंद अवस्थी बताते हैं कि बच्चे अबोध होते हैं। जैसा व्यवहार व गतिविधि होते वह घर में बड़े जन को देखते हैं वैसा ही करने का प्रयास करते हैं। घर के प्रत्येक सदस्य के लिए स्क्रीन टाइम निश्चित होना चाहिए। बच्चों को कहानी की पुस्तकें उपलब्ध कराएं और पढ़ने के प्रोत्साहित करें। विद्यालय के पुस्तकालय में उपलब्ध पुस्तकें घर ले जाने के लिए निर्गत की जानी चाहिए। चंपक, नंदन अब बच्चों को नहीं उपलब्ध हो रही है। इस तरह की पुस्तकें बच्चों में रचनात्मकता और नैतिक मूल्यों के संव‌र्द्धन में सहायक होंगी। बच्चों के मनोरंजन के लिए उन्हें इनडोर और आउट डोर खेलों की ओर ले जाना होगा जिससे मोबाइल गेम की लत से छुटकारा मिल सके।

'बच्चों को बताते हैं मोबाइल के दुष्परिणाम'

प्राथमिक विद्यालय भोजपुर बच्चों की मोबाइल की लत और व्यवहार में सुधार लाने के लिए उन्हें मोबाइल के ज्यादा प्रयोग से होने वाले दुष्परिणामों के संबंध में बताते हैं। साथ ही मोबाइल के सही प्रयोग (जैसे पढ़ाई में, क्राफ्ट में ड्राइंग में आदि) के बारे में भी बताया जाता है। बच्चों को कागज-कागज के टुकड़ों, गिट्टी और पत्तों थर्माकोल आदि के माध्यम से होने वाली गतिविधियों से जोड़ा जाता है। अभिभावकों के साथ बैठक में उनसे बच्चों को मोबाइल से दूर रखने का आग्रह किया गया। बच्चों को ऐसा गृह कार्य दिया जाता है जिसमें वह प्रकृति से जुड़ें। गतिविधियों में बेहतर प्रदर्शन करने पर बच्चों को समय-समय पर पुरस्कृत भी किया जाता है। इससे बच्चों का मनोबल बढ़ता है और वह अधिक उत्साह से पढ़ाई करते हैं।


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