प्रमिला के हुनर से 100 परिवारों को मिल रहा रोजगार
प्रमिला के हुनर से 100 परिवारों को मिल रहा रोजगार
वी. राजा, बाराबंकी
महिलाएं अब सिर्फ चूल्हा चौका तक सीमित नहीं है। इसकी नजीर शहर के मुहल्ला सरावगी की रहने वालीं प्रमिला श्रीवास्तव पेश कर रही है। उन्होंने फल संरक्षण कर अचार बनाने का रोजगार अपनाया। स्वयं तो स्वावलंबी बनीं ही साथ ही 11 वर्षों में करीब 12 हजार से अधिक महिलाओं को विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान करके उन्हें विभिन्न रोजगारों से जोड़ा। आज वे अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बनीं हुई हैं।
अधिवक्ता पंकज श्रीवास्तव की पत्नी प्रमिला ने करीब 11 वर्ष पूर्व महिलाओं को रोजगारपरक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए पहले राजकीय फल संरक्षण केंद्र से फल संरक्षण कर अचार बनाने का प्रशिक्षण स्वयं प्राप्त किया था। प्रमिला ने जब यह कदम उठाया तो शुरूआत के दिनों में उन्हें कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। इसी का नतीजा यह रहा कि उनकी मेहनत दिन प्रतिदिन रंग लाने लगी। फल संरक्षित कर अचार बनाने का कार्य शुरू किया। इसके बाद मुरब्बा, टमाटर, आंवला, मिर्च के अचार व चटनी के अलावा चिली सॉस के कई प्रकार के खाद्य सामग्री बनाने में शहर व ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को जोड़ा। इसमें गरीब तबके की महिलाओं को प्रमिला ने प्रमुखता दी। प्रशिक्षण के दौरान अचार बनाने से लेकर फल संरक्षित करने के उपाय के बारे में प्रमिला विधिवत बताती हैं।
सीजन पर फल संरक्षित करने के बारे बताती हैं : प्रमिला श्रीवास्तव के प्रशिक्षण में इस बात पर विशेष जोर दिया जाता है कि कैसे सीजन पर फल संरक्षित किया जाए। खेतों जो सब्जी बर्बाद हो जाती है उसे भी उपयोगी बनाने के बारे में बताया जाता है। प्रशिक्षण प्राप्त कर रहीं महिलाएं सरिता गुप्ता, मंजू, राधा, आकांक्षा रस्तोगी व वंदना गुप्ता ने बताया कि प्रमिला दीदी हम लोगों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं हैं।
राज्यपाल से हो चुकी हैं सम्मानित : सर्वश्रेष्ठ उत्कृष्ट उत्पादकता के लिए प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिताओं में पूर्व में प्रमिला श्रीवास्तव सम्मानित हो चुकी है। वर्ष 2011, 2012 व 2014 में फल शाक भाजी प्रदर्शनी में तत्कालीन राज्यपाल बीएल जोशी की ओर से शील्ड व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा तत्कालीन राज्यपाल राम नाइक से भी सम्मान प्राप्त कर चुकी हैं। वहीं, केडी सिंह बाबू स्टेडियम में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने भी प्रोत्साहित किया था।