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साहित्य सेवियों का अवदान, ¨हदी को दिला रहा मान

फोटो : 05, 06 07 ¨हदी जय हो -राष्ट्रभाषा परिषद और संस्कार भारती की साहित्यिक गतिविधियां बढ़ा

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Sep 2018 06:45 PM (IST)Updated: Thu, 13 Sep 2018 06:45 PM (IST)
साहित्य सेवियों का अवदान, ¨हदी को दिला रहा मान
साहित्य सेवियों का अवदान, ¨हदी को दिला रहा मान

फोटो : 05, 06 07

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¨हदी जय हो

-राष्ट्रभाषा परिषद और संस्कार भारती की साहित्यिक गतिविधियां बढ़ा रहीं ¨हदी का मान

जागरण संवाददाता, बाराबंकी। ¨हदी भाषा के उत्थान में साहित्यकारों द्वारा किया गया अवदान जिले की थाती है। उनकी साहित्यसेवा का परिचय नवोदित रचनाकारों के लिए उत्प्रेरक का काम करता है। इस दिशा में नगर की राष्ट्रभाषा परिषद ने सार्थक पहल की है। विस्मृत साहित्यकारों और उनकी रचनाओं को समाज तक पहुंचाने के कार्य में यह संस्था तीन दशक से संलग्न है। इसके लिए परिषद की ओर से उनकी स्मृति में कार्यक्रम आयोजित किए जाने के साथ ही उद्यान, गांव-गली के नामकरण भी कराए गए। वहीं, संस्कार भारती की नगर इकाई भी इस दिशा में सार्थक पहल कर रही है। साहित्यिक कार्यक्रमों के माध्यम ¨हदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए जन-जागरण किया जा रहा है। विस्मृत साहित्यकारों को लाए सामने

संस्थापक महासचिव अजय ¨सह गुरू जी बताते हैं कि परिषद की ओर से अब तक संत चुतुर्भुजदास, कासिम शाह, राय राजेश्वर बली, संत बैजनाथ, पंडित महेश दत्त शुक्ल, पंडित विशन नरायन दर सहित करीब 300 विस्मृत साहित्यकारों की खोज कर उनके साहित्यिक अवदान से समाज को परिचित कराया। इसका माध्यम काव्यगोष्ठियां और चर्चा-परिचर्चा बनी। इनके नाम पर उद्यान, गली-मुहल्लों का नामकरण कराना और स्वयं के स्त्रोत विकास कराना।में साहित्यकारों को किया सम्मानित

अध्यक्ष डॉ. भगवान वत्स बताते हैं कि परिषद की ओर से महाकवि गुरु प्रसाद ¨सह मृगेश, डॉ. ओम प्रकाश पांडेय, शिव ¨सह सरोज, त्रिभुवन नाथ शर्मा मधु, आंनद मिश्र अभय, केशव प्रसाद शुक्ल, गिरिजा शंकर शुक्ल, जलाल अहमद खां तनवीर आदि को राष्ट्रभाषा गौरव और राष्ट्रभाषा रत्न से सम्मानित किया जा चुका है। इसमें कई साहित्यकार दिवंगत हो चुके हैं।

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इनसेट

ग्रामीण क्षेत्र में जगा रहे साहित्य की अलख

संस्कार भारती के अवध प्रांत के मंत्री शिव कुमार व्यास ने बताया कि जिला इकाई बाराबंकी का गठन वर्ष 1992 में किया गया था। इसके बाद से विभिन्न साहित्यिक कार्यक्रमों के साथ ही भारतीय नव वर्ष स्वागत, गुरु पूर्णिमा-नवरात्रि पूजन, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, दीपावली परिवार मेला, भारत माता पूजन और भरतमुनि जयंती आदि को छह उत्सवों के रूप में मनाया जाता रहा है। इसके अलावा ग्रामीण अंचल में ¨हदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए ¨नदूरा, हैदरगढ़ और रामसनेहीघाट क्षेत्र में इकाई का गठन कर काव्यगोष्ठियों का आयोजन किया जाता रहा है। गोष्ठियों से निकले पुष्पेंद्र पुष्प, प्रदीप महाजन, संजय सांवरा और संदीप अनुरागी आदि कवि जिले के बाहर भी अपनी पहचान बना रहे हैं। साथ ही जिले के बारह इंटर कालेजों में पं. दीनदयाल उपाध्याय विषयक भाषण प्रतियोगिता का आयोजन कर बच्चों में छिपी प्रतिभा को निखारने का काम किया गया।


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