बेंच पर हो रहा मरीजों का इलाज, स्ट्रेचर भी टूटा
बाराबंकी : प्रदेश की राजधानी से सटे जिला चिकित्सालय में चिकित्सा व्यवस्था बदहाल है। न तो यहां पर पर्
बाराबंकी : प्रदेश की राजधानी से सटे जिला चिकित्सालय में चिकित्सा व्यवस्था बदहाल है। न तो यहां पर पर्याप्त स्ट्रेचर हैं। और न ही बेड। ऐसे में मरीजों को जमीन या बेंच पर बैठकर ही इलाज कराना पड़ता है। दवाएं भी अक्सर नही होतीं। इसके चलते बाहर से दवा खरीदने को मरीज व उनके तीमारदार विवश होते हैं। नहीं है पेट दर्द की दवा
जिला चिकित्सालय में अकसर किसी न किसी दवा का टोटा बरकरार रहता है। अस्पताल में पेट दर्द व गैस की दवा खत्म हो गई। हालांकि इंजेक्शन की उपलब्धता का दावा चिकित्सालय प्रशासन ने किया है।
न बेड मिला न स्ट्रेचर
जिला चिकित्सालय में सोमवार को मरीजों की संख्या अधिक होने के चलते बेड कम कम पड़ गए। यही नहीं, जो मरीज अस्पताल आए उनकों अस्पताल तक लाने के लिए स्ट्रेचर तक नहीं मिल पाए। मरीजों को गोद में उठाकर उन्हें अस्पताल तक तीमारदारों को लाना पड़ा। ग्लूकोज चढ़ाने के लिए स्टैंड तक नहीं मिल पाया। ऐसे में मरीजों के साथ आए तीमारदारों को ग्लूकोज की बोतल हाथ में पकड़कर चढ़वाना पड़ा। जो स्ट्रेचर कुछ मरीजों को मिले वे भी टूटे थे। 140 बेड के चिकित्सालय में 30 बेड इमरजेंसी में हैं। दोपहर में सभी बेड फुल थे। इनमें अधिकांश मरीज बुखार, सांस की बीमारी, उल्टी व दस्त के अलावा हाइपरटेंशन के थे। वहीं कुछ मार्ग दुर्घटना में घायल मरीजों को भर्ती कराया गया था।
जिला चिकित्सालय में शहर के अलावा ग्रामीण अंचल से भी मरीज आते है। यही वजह है कि भीड़ अधिक हो जाती है और बेड कम पड़ जाते हैं। मौजूदा समय में दवाओं का टोटा नहीं है। पेट दर्द की अन्य दवा की उपलब्धता है। ग्लूकोज स्टैंड व स्ट्रेचर की पर्याप्त उपलब्धता है।
डॉ. एसके ¨सह, सीएमएस, जिला चिकित्सालय, बाराबंकी