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एक साथ मनी सप्तमी-अष्टमी

संवादसूत्र बाराबंकी देवी मंदिरों में शुक्रवार को भक्तों की भीड़ जुटी। नवरात्रि की सप्तमी व अष्टमी एक साथ मनाई गई। अष्टमी पर अधिकांश श्रद्धालु व्रत रखते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 12:55 AM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 12:55 AM (IST)
एक साथ मनी सप्तमी-अष्टमी
एक साथ मनी सप्तमी-अष्टमी

बाराबंकी : देवी मंदिरों में शुक्रवार को भक्तों की भीड़ जुटी। नवरात्रि की सप्तमी व अष्टमी एक साथ मनाई गई। अष्टमी पर अधिकांश श्रद्धालु व्रत रखते हैं। इसलिए अष्टमी व्रत को लेकर थोड़ा भ्रम जरूर दिखा। कुछ लोग शनिवार को भी अष्टमी मनाएंगे। जबकि अधिकांश लोग हवन-पूजन कर श्रीराम नवमी मनाएंगे।

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शुक्रवार के दिन देवियों की पूजा का दिन माना जाता है। ऐसे में नवरात्र के शुक्रवार की महत्ता और भी ज्यादा रही। नगर के बड़ी देवी, छोटी देवी, मुड़कटी देवी, नवदुर्गा मंदिर भुइहारे बाबा, सिद्धौर के बीबीपुर स्थित मां दुर्गा शक्तिपीठ, सिरौलीगौसपुर क्षेत्र के अमरादेवी धाम, गोमती नदी के किनारे सतरिख थाना क्षेत्र में स्थित सैनानी देवी मंदिर, फतेहपुर क्षेत्र के गुरसेल देवी मंदिर, मसौली क्षेत्र के ज्वालादेवी मंदिर आदि स्थानों पर सुबह से ही भक्तों की भीड़ रही। पैदल नंगे पांव चलकर भी श्रद्धालु मां के दरबार पहुंचे। हवन-पूजन किया।

बीबीपुर स्थित मां दुर्गा शक्तिपीठ पर इतनी अधिक भीड़ रही कि भीड़ नियंत्रण के लिए पुलिस कर्मियों को मुस्तैद रहना पड़ा। मंदिर में महिलाओं ने कन्या भोज भी किया। दही-जलेबी, हलुआ, पूड़ी आदि खिलाई। महिलाओं ने दुरदुरइया चबाने का आयोजन भी किया। इसमें सात महिलाओं के समूह को लाई, चना के साथ गुड़ या मिठाई खिलाई जाती है। मान्यता है कि इस आयोजन से परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है। जिस घर में नई नवेली बहू आती है या फिर संतान की प्राप्ति होती है उस घर की महिलाएं दुरदुरइया की मनौती मानती हैं और अधिकांशत: नवरात्रि में ही उसे पूरी करती हैं।

सतरिख : शैलानी देवी मंदिर में भक्तों की भीड़ ने मां के दर्शन-पूजन के साथ ही वहां स्थित जलकुंड में मछलियों को भी लाई खिलाई। जलकुंड में निर्मल पानी अनवरत बहता है। कुंड में रंग बिरंगी मछलियां ऊपर तक आकर श्रद्धालुओं को आकर्षित करती हैं।

नगर के विश्राम सदन धर्मशाला के पुजारी पं. राजेश शास्त्री का कहना है कि शुक्रवार को सुबह साढ़े नौ बजे से अष्टमी लग गई थी। यह शनिवार की सुबह दस बजे तक रहेगी। यही वजह रही कि शुक्रवार को लोगों ने अष्टमी का व्रत रखा। हालांकि शनिवार को अष्टमी का व्रत शुभ है। इस दिन कन्याओं को भोज श्रद्धालु द्वारा कराया जाता है।


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