जिले में प्रतिमाह 11 हजार ¨क्वटल राशन की घटतौली!
-खाद्यान्न का खेल- -प्रति बोरी तौल करने के बजाए कोटेदारों को धर्मकांटे से इकट्ठा दिया जा रह
-खाद्यान्न का खेल-
-प्रति बोरी तौल करने के बजाए कोटेदारों को धर्मकांटे से इकट्ठा दिया जा रहा राशन
-प्रति ¨क्वटल आ रही आठ से 10 किलो की कमी
-गोदामों पर नहीं है जिला प्रशासन का कोई जोर
संवादसूत्र, बाराबंकी : खाद्य सुरक्षा अधिनियम के नियमों की धज्जियां विपणन विभाग उड़ा रहा है। कोटेदारों को प्रति माह गरीबों को राशन वितरण करने के लिए गोदामों से खाद्यान्न मिलता है। कोटेदारों को राशन प्रति बोरी के हिसाब से तौल कर देना होता है, लेकिन गोदाम प्रभारी इकट्ठा धर्मकांटा से तौलकर गेहूं व चावल दे रहे हैं। जिससे प्रति ¨क्वटल दस किलो की कमी आ रही है। ऐसे में लगभग प्रति माह जिले में 11 हजार ¨क्वटल राशन की घटतौली हो रही है।
गरीबों तक राशन पहुंचे, इससे पहले से ही उठान के दौरान गोदामों से गल्ले की कालाबाजारी कर दी जाती है। इसको देखने के लिए प्रशासन शायद ही वर्ष में गोदामों का निरीक्षण करता हो। विपणन विभाग से जिले के 1267 कोटेदारों को राशन दिया जाता है। राशन की सप्लाई संबंधित ब्लॉक क्षेत्र में बने गोदाम से होती है। जिले में लगभग 25 लाख 35 हजार लोगों को राशन दिया जाता है। जिसमें जिले को लगभग 12 हजार मीट्रिक टन राशन आवंटित होता है। इन राशन का उठान प्रत्येक माह की 22 तारीख से लेकर 30 तारीख तक होता है। कोटेदार 20 से 23 तारीख तक ऑनलाइन ट्रांजेक्शन कर पैसा अदा करते हैं और राशन लेने जाते हैं तो उन्हें धर्म कांटा से तौल कर एकमुश्त राशन दिया जाता है। जबकि नियम यह है कि प्रति बोरी तौल कर कोटेदारों को दें ताकि खाद्यान्न में कमी न आए, लेकिन कोटेदार बताते हैं कि नियम का पालन नहीं होता है, इसलिए प्रति ¨क्वटल आठ से दस किलो की कमी आती है। जबकि राशन के साथ बोरे का भी वजन कर कोटेदारों को दे देते हैं, जिससे गरीबों के वितरण में कटौती की जाती है।
नहीं दिया जाता है सैंपल
गोदामों पर यह नियम है कि कोटेदारों को राशन देने से पहले पॉलीथिन में खाद्यान्न का सैंपल दिया जाए ताकि उन्हें पता चल जाए कि उन्हें किस तरह से राशन मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। कभी कभार तो गरीबों के वितरण के लिए सड़ा राशन भी दे दिया जाता है, जबकि अच्छे राशन की कालाबाजारी हो जाती है।
उठान से पहले भिगो दिया जाता है राशन : कोटेदार बताते हैं कि गोदामों में जब कोटेदार राशन उठान के लिए जाता है तो उसके एक दिन पहले गेहूं में पानी को छोड़कर भिगो दिया जाता है। जिससे राशन वजन हो जाता है और बाद में सूखने पर अनाज कम हो जाता हैं। जिसका खामियाजा कोटेदारों को भुगतना पड़ता है।
क्या कहते हैं कोटेदार : पीरबटावन के मो. शफीक, लखपेड़ाबाग के कोटेदार विजय पाल गौतम, जैदपुर के मो. शमी, शहर के आशु श्रीवास्तव आदि कोटेदारों ने बताया कि प्रति बोरी का वजन काटकर राशन देना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं होता है। प्रति बोरी पर दस किलो की कमी आ रही है। जबकि खाद्य सुरक्षा अधिनियम में अनिवार्य व्यवस्था है कि प्रति दुकान के यहां जाकर राशन की डिलीवरी की जाए। वहीं पर प्रति बोरी तौल कर राशन दिया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। इसके अलावा 80 रुपये प्रति ¨क्वटल कमीशन मिलता है, जिसमें 14 रुपये सिर्फ वाहन पर लादना और उतरवाना पड़ जाता है। भाड़ा ऊपर से दिया जाता है।
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भारतीय खाद्य निगम से राशन लेकर गोदाम में डंप किया जाता हैं। वहीं से जो राशन मिलता है तो धर्मकांटा से तौल कर मिलता है, जिससे खाद्यान्न में कमी आती है।
-संतोष कुमार द्विवेदी, जिला विपणन अधिकारी, बाराबंकी।
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प्रति बोरी तौल कर राशन दिए जाने का नियम है, लेकिन गोदाम से कोटेदारों को एकमुश्त धर्मकांटा से तौल कर राशन दिया जाता है, जिससे प्रति बोरी राशन की कमी आ जाती है। -संतोष विक्रम शाही, जिला पूर्ति अधिकारी, बाराबंकी।