कोरोना की जंग में संक्रमितों को जीने का जज्बा सिखा रहे डॉ. राजीव
कोरोना पीड़ितों के सैंपल लेने के साथ ही पीड़ितों के परिवारजन की भी करते हैं हौसलाआफजाई
बाराबंकी : रेलवे की नौकरी छोड़ चिकित्सक का पेशा अपनाने वाले डॉ. राजीव कोरोना संक्रमण काल में मरीजों के लिए मसीहा बने हुए हैं। माता-पिता के इलाज के दौरान रेलवे की नौकरी छोड़कर परिवार और समाजसेवा के लिए डॉक्टर बनने का द़ृढ़ संकल्प कर लिया। कोरोना संकट के शुरुआती दौर में कई दिन-रात संदिग्ध मरीजों के सैंपल लेने व संक्रमित मरीजों को आइसोलेट कराया गया। स्टॉफ के लोग कोविड-19 के शुरुआत में ड़़्यटी करने में तो काफी डर गए थे, जिले में पहली बार जब संदिग्ध कोरोना संक्रमित मिला तो सैंपल लेने के लिए कोई तैयार नहीं था। डॉ. राजीव ने बताया कि जब सैंपल लेने के लिए मरीज के घर गए तो मरीज समेत सभी परिवारजन काफी डरे थे। कोरोना पीड़ित व उनके परिवारजन को समझाने के साथ उनका हौसला बढ़ाया। जिले में वर्ष 2014 में तैनाती पाने वाले डॉ. राजीव वर्तमान में जिला प्रतिरक्षण अधिकारी के पद पर तैनात हैं। कोरोना संक्रमितों का सैंपल लेने के साथ उसे लैब भेजते है। साथ ही मरीजों को कोविड अस्पताल में शिफ्ट कराकर निगरानी भी करते हैं। अन्य चिकित्सकों के साथ कोरोना संक्रमित मरीजों का हौसला बढ़ाते हैं। अब तक करीब 70 से अधिक कोरोना संक्रमित मरीजों का हौसला बढ़ा चुके हैं और मरीज ठीक होकर अपने घर भी जा चुके हैं। ---------------------
कोरोना संकट काल में इस वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है। सावधानी बरतकर इससे मुकाबला आसानी से किया जा सकता है। मास्क, दो गज की दूरी, सैनिटाइजर व साबुन का उपयोग जरूर किया जाए। जरूरी काम हो तभी घर से बाहर निकलें। साथ ही गर्भवती महिलाओं का प्रसव सूचीबद्ध अस्पतालों में ही संस्थागत प्रसव कराएं। वे कहते हैं कि चिकित्सकों को यह मौका मिलता है कि वे अपने अंतर्मन में झांके, अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को समझें।
-डॉ. राजीव सिंह, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी।