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जागरण के चुनावी चौपाल में छलका कल्याणी का दर्द

दैनिक जागरण ने फतेहपुर में लगाई चुनाव चौपाल ‘गिरता रहा जलस्तर नहीं चेते रहनुमा’ मुद्दे पर हुई चर्चा

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 04:53 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 04:53 PM (IST)
जागरण के चुनावी चौपाल में छलका कल्याणी का दर्द
जागरण के चुनावी चौपाल में छलका कल्याणी का दर्द

बाराबंकी, जेएनएन। जिले की कल्याणी नदी के अस्तित्व पर मंडरा रहे संकट, प्रदूषित हो रही रेठ व जमुरिया नदी और इन पर किए गए अतिक्रमण को लेकर प्रबुद्ध वर्ग में सियासी दलों के प्रति असंतोष नजर आया। वक्ताओं ने किसी दल के एजेंडे में अब तक नदी, पोखर, झीलों की बदहाली का मुद्दा न होने पर आश्चर्य जताया। पब्लिक का यह मूड बुधवार को दैनिक जागरण की ओर से फतेहपुर के वारिस चिल्ड्रेन अकादमी में ‘गिरता रहा जलस्तर, नहीं चेते रहनुमा’ मुद्दे पर लगाई चौपाल में देखने को मिला।

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वक्ताओं ने जिले की जीवनदायिनी कल्याणी, रेठ और जमुरिया नदियों की बदहाली के जलते जलस्तर में गिरावट की बात कही। साथ ही बाग-जंगलों के कटान के रोकने के बजाय ऐसे तत्वों को संरक्षण देने का आरोप भी सफेदपोशों पर मढ़ा। दो दर्जन झीलों को लेकर प्रशासनिक और सियासी दलों की उदासीनता का खामियाजा जनपदवासियों को जल संकट झेलने के लिए चेताया भी गया। इसके अलावा भाजपा के अनुच्छेद 350 और 35 ए को खत्म करने के समर्थन और देशद्रोह कानून हटाने को घोषणा पत्र में शामिल करने का पुरजोर विरोध भी वक्ताओं ने किया।

जलस्रोतों को लेकर राजनीतिक दल गंभीर नहीं   

पूर्व बार अध्यक्ष के प्रदीप निगम ने कहा कि जलस्तर घटने के लिए नागरिक भी जिम्मेदार है। सर्वोच्च न्यायालय भी इस ओर स्पष्ट आदेश जारी कर चुका है कि सभी तालाब और जलाशयों की 1950 की स्थिति को बहाल किया जाए, परन्तु राजनैतिक यक्ष शक्ति की दुर्बलता के चलते इस ओर अधिक कार्य न हो सका। एल्डर्स कमेटी के पूर्व अध्यक्ष हरनाम सिंह ने कहा कि सभी नदियों को जोड़कर गिरते भू जलस्तर को गिरने से रोका जा सकता है। स्थानीय कल्याणी नदी की पुन: खोदाई कराने और अन्य नदियों पर हो रहे अतिक्रमण को हटाने से इस समस्या का भी कुछ हद तक निदान हो सकता है। पिछली सरकारों की तुलना में वर्तमान केंद्र सरकार ने बहुत कुछ किया है, आगे और किया जाना जरूरी है। 

रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून 

चिकित्सक डॉ. आलम अंसारी ने कहा कि हवा और पानी जीवन के लिए अति आवश्यक है। गंगा को पवित्र रखने में हम कामयाब नहीं हो पा रहे है। अंधाधुंध पेड़ों की कटान से क्षेत्र का जल स्तर गिर रहा है, कोई राजनैतिक दल इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। जलस्रोतों को बचाए जाने के लिए सियासी दल भी पहल करें। समाजसेवी डॉ. समर सिंह ने कहा कि प्रशासनिक एवं सामाजिक चेतना के अभाव में क्षेत्र की मशहूर भगहर झील, कल्याणी नदी, किरकीची झील आदि विलुप्त होने की कगार पर मगर सियासी गलियारों में इसकी चर्चा नदारद है। प्रांशू जैन ने कल्याणी नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए नेताओं के साथ स्थानीय स्तर पर भी प्रयास किए जाने की जरूरत जताई। व्यापारी रविन्द्र वर्मा और डॉ. वीसी भौमिक ने कहा कि नदियों, पोखरों को पहले के राजा खुदवाने का काम करते थे, अबके नेता बचाने की भी पहल नहीं करते।

अब कस्बों में भी बिकने लगा पानी

सामाजिक कार्यकर्ता फहीम सिद्दीकी बताते हैं कि पूर्व डीएम मिनिस्ती एस ने तालाबों, पोखरों और कुआं आदि को संरक्षित करने के गंभीर प्रयास किए थे, परंतु उनके जाने के बाद यह मुहिम बंद है। राजनैतिक पार्टियों को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। पूर्व प्रधानाध्यापक बृजेश शर्मा ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग आने पीढ़ी को भारी पड़ेगा। इसलिए इसका संरक्षण आवश्यक है। व्यापार मंडल के अध्यक्ष विजय अग्रवाल ने क्षेत्र में मेंथा और यूकेलिप्टस जैसे फसलों के कारण क्षेत्र का जलस्तर तेजी से गिर रहा है, जो चिंता का विषय है। राम सिंह चौहान ने कहा कि किसी ने भी इस व्यापक समस्या पर फोकस नहीं किया।  

देशद्रोह कानून हटाने का वादा नासमझी

बार अध्यक्ष गिरीश चंद्र वर्मा ने कहा कि राष्ट्रद्रोह कानून को हटाया जाता है तो यह नासमझी है। चुनावी नफा-नुकसान को देख कर एक राजनैतिक पार्टी ने घोषणा पत्र में शामिल किया है। बूंद-बूंद पेट्रोल बचाने के नारे की तरह बूंद-बूंद जल बचाओ का नारा बुलंद किया जाना चाहिए, जिससे आने वाले पीढ़ी को जल समस्या से बचाया जा सके। किसान सरदार मुख्तार सिंह ने कहा कि राष्ट्रद्रोह के कानून का हटाया जाना गलत है, लेकिन सजा दुरुपयोग रोक जाने के पुख्ता इंतजाम किए जाने चाहिए।

अनुच्छेद 370 हटा तो विकास को मिलेगी रफ्तार

बार महामंत्री हरीश मौर्य ने कहा कि कि अनुच्छेद 370 के हटाए जाने का समर्थन किया और कहा कि एक देश दो प्रधान दो विधान नहीं होने चाहिए। इस अनुच्छेद को हटाए जाने के बाद विकास की गति को रफ्तार मिलेगी। शिक्षक अजय विश्वकर्मा ने कहा कि घोषणा पत्र में दिए गए वादों के संदर्भ में जानकारों से राय लेकर ही उसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। 72 हजार रुपये दिए जाने का वादा चुनावी स्टंट है, जिससे देश की आर्थिक स्थित पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। अनिल शर्मा, जितेंद्र सिंह, पंकज श्रीवास्तव ने भी उक्त मुद्दे पर अपनी बात रखी। 

मुद्दा क्यों

बीते दस वर्षों में जलस्तर पांच मीटर नीचे चला गया है।  प्रति वर्ष 2525 मिली मीटर बारिश कम हो रही है। जिले में नदियों और नहरों का जाल होने के बावजूद वे बदहाल हैं। पेड़ों की लगातार कटान और प्रदूषण से यहां का ग्लोबल डिस्प्ले बिगड़ रहा है।


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