कहे तोसे सजना ये तोहरी सजनिया..
देवा के सांस्कृतिक पंडाल में रविवार की सांस्कृतिक संध्या अवधी भोजपुरी गायिका वंदना मिश्रा के गीतों से सजी। कार्यक्रम की शुरुआत उन्होंने देवी गीत जगदंबा घर में दियना बार अइली हेसे की। इसके बाद उन्होंने कहे तोसे सजना ये तोहरी सजनियागाकर लोगों को ताली बजाने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद उन्होंने भर दे झोली मेरे या मोहम्मद हे गंगे मैया तोहे पियरी चढ़इबो तुझे प्यार करते करते मेरी उमर गुजर जाएजैसे गीतों से लोगों का मन मोह लिया। उनकी मेरे रश्के कमरव नीक लागे टिकुलिया गोरखपुर कीगीत की प्रस्तुति पर श्रोता जमकर झूमे।
बाराबंकी: देवा के सांस्कृतिक पंडाल में रविवार की सांस्कृतिक संध्या अवधी भोजपुरी गायिका वंदना मिश्रा के गीतों से सजी। कार्यक्रम की शुरुआत उन्होंने देवी गीत 'जगदंबा घर में दियना बार अइली हे'से की। इसके बाद उन्होंने 'कहे तोसे सजना ये तोहरी सजनिया'गाकर लोगों को ताली बजाने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद उन्होंने 'भर दे झोली मेरे या मोहम्मद', 'हे गंगे मैया तोहे पियरी चढ़इबो', 'तुझे प्यार करते करते मेरी उमर गुजर जाए'जैसे गीतों से लोगों का मन मोह लिया। उनकी 'मेरे रश्के कमर'व 'नीक लागे टिकुलिया गोरखपुर की'गीत की प्रस्तुति पर श्रोता जमकर झूमे।
आरती के कथक पर झूमे दर्शक
देवा: देवा मेला के सांस्कृतिक पंडाल में रविवार को आरती शुक्ला एंड ग्रुप ने कथक नृत्य से मन मोह लिया। कार्यक्रम की शुरुआत नृत्यांगना आरती शुक्ला ने वंदना गीत जयंती मंगला काली पर नृत्य से की। इसके बाद ध्रुपद गीत बादल नभ घोर' पर नृत्य पेश किया। ठुमरी काहे रोकत डगर प्यारे, सूफी गीत मेरा मुर्शिद खेले होली'सहित अनेक गीतों पर नृत्य प्रस्तुत कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। साथी नृत्यांगना श्वेता वर्मा, कुमारी ज्योति भी शामिल रहीं।
मंजू के लोकनृत्य ने मन मोहा
देवा: रविवार शाम देवा मेला आडिटोरियम में मंजू देवी एंड ग्रुप ने लोक नृत्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की शुरुआत सूफी गीत आज रंग है री'से की। इसके बाद उन्होंने मछुवारा कोली मराठी नृत्य डोल डोल ताए'पर नृत्य पेश किया। नच्चा- नच्चा'गीत पर गिद्दा नृत्य, आओ री रसीला म्हारे देश'गीत पर घूमर नृत्य प्रस्तुत किया। अंत में यही महारास है-महारास है'गीत पर महारास प्रस्तुत कर लोगों का मन मोह लिया।
नन्हीं शरण्या के नृत्य ने मन मोहा
देवा: सांस्कृतिक पंडाल में शरण्या शुक्ला की कथक प्रस्तुति ने भी समां बांध दिया। कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति शंकर गिरिजापति' गीत पर नृत्य से हुई। जो राग मालकौस एवं सूतताल में निबद्ध था। इसके बाद उन्होंने त्रिकाल, मध्य लय में टुकड़े, परन, तिहाई, भाव आदि पर कथक नृत्य पेश किया। शरण्या ने अमीर खुसरो के कलाम आज रंग है रंग है री' सूफी कलाम' दमादम मस्त कलंदर'पर भी मनमोहक नृत्य प्रस्तुत कर लोगों का मन जीत लिया।