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देवा मेला : वारिस-वारिस रटते-रटते भोर भईनंदलाला

बाराबंकी : सूफी संत हाजी वारिस अली शाह को जिसने जिस रूप में देखा उन्हें उस रूप में पाया। ि

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Oct 2018 11:51 PM (IST)Updated: Sun, 28 Oct 2018 11:51 PM (IST)
देवा मेला : वारिस-वारिस रटते-रटते भोर भईनंदलाला
देवा मेला : वारिस-वारिस रटते-रटते भोर भईनंदलाला

बाराबंकी : सूफी संत हाजी वारिस अली शाह को जिसने जिस रूप में देखा उन्हें उस रूप में पाया। बिहार के लक्खीसराय से आए करीब एक सैकड़ा लोग रविवार को सूफी संत की दरगाह पर हिन्दू पूजा पद्धति से उनकी आराधना कर रहे थे। वातावरण में 'हे अच्युत अनंत गो¨वद गिरिधर, सनम तुम वारिस हमारे दिलवर' के स्वर गूंज रहे थे। दल के लोग सूफी संत को श्री कृष्ण के स्वरूप में पूजते हैं।

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दल के सभी सदस्य वारिस प्रेम कुटी के संचालक निराले शाह के नेतृत्व में एक विद्यालय में ठहरे हैं। रविवार को ही यहां पर पंकज और संगीता वारसी के सुपुत्र आयुष वारसी और कमलेश और अर्चना ¨सहा के पुत्र ओमराज का मुंडन संस्कार हो रहा था। वेद मंत्रों और वारिस पिया के जयकारों का अदभुद संगम यहां दिखाई दे रहा था। मुंडन के बाद वारिस के जयकारों के बीच बच्चों को आशीर्वाद दिया गया। पंकज और कमलेश वारसी ने बताया कि यह पुत्र सरकार वारिस पिया की ही देन है।

रात में दल के सदस्यों ने सरकार वारिस पिया को ¨हदी में सलाम पेश किया। इसके बाद वारिस-वारिस रटते-रटते भोर भई नंदलाला सहित कई भजनों पर अपने वारिस कृष्ण पिया की आरती उतारी और भजन गाए। बाबा निराले शाह वारसी ने बताया कि सरकार वारिस पिया ने मोहब्बत को ही भक्ति बताया है। उनका संदेश हर घर तक पहुंचे, इसमें धर्म और जाति का बंधन नहीं है। लखीसराय से आए हिन्दू भक्तों का यह दल बाबा से वर्षों से जुड़ा है। दल के सदस्य बाबा के प्रति गहरी आस्था रखते हैं।


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