आस्था के कुंभ में तब्दील है सूफी नगरी
आस्था के कुंभ में तब्दील है सूफी नगरी
बाराबंकी : जिस जां नजर आते हो सिजदे वहीं करता हूं..कव्वाली के गूंजते सुरों के बीच सूफी संत की दरगाह पर हाजिरी लगाने वालों का कारवां बढ़ता जा रहा है। दरगाह और अन्य मजारों पर इन दिनों केवल वारिस के दीवानों की भीड़ ही नजर आ रही है। हर कोई अपने वारिस पिया के चरणों मे हाजिरी लगाने को बेताब है।
शुक्रवार को होने वाले सैयद कुर्बान अली शाह के कुल शरीफ के मद्देनजर जायरीन की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। मेले के चारों ओर किलोमीटरों तक बसों की कतारें लगी हैं। हर खाली जगह पर जायरीन के डेरे हैं। जायरीन के जत्थे सिरों पर चादरें उठाए आस्ताने की ओर बढ़ रहे थे। जुलूस और कव्वालों के साथ चादर पेश करने वालों का भी तांता लगा है। या वारिस-हक वारिस के जयकारों से समूची दरगाह रोड गुंजायमान है। समूची दरगाह इन दिनों आस्था के कुंभ में तब्दील है। दरगाह पर मौजूद हर अकीदतमंद अपने-अपने तरीके से अपने वारिस पिया को रिझाने में जुटा है। कोई सिजदे में सिर झुका रहा है तो कोई हाथ जोड़े करम की फरियाद कर रहा है। पूरा मजार परिसर जायरीन से पटा पड़ा है। लक्खीसराय बिहार के लोगों का दल अपने वारिस सरकार की आरती'मेरे वारिस श्याम पिया'से कर रहा था। दल में शामिल लोग अपनी पूजा पद्धति से अपने वारिस-कृष्ण की आराधना कर रहे थे। दूसरी ओर शुक्रवार को देवा मेला में भी भीड़ काफी बढ़ गई। भीड़ बढ़ने से मेला पूरे शबाब पर पहुंच गया। सांस्कृतिक पंडाल से लेकर हर ओर जायरीन की भारी भीड़ ही नजर आ रही थी।