आजीविका संचालन में मददगार साबित हो रही कांट्रैक्ट फार्मिंग
मेरे देश की धरती सोना उगले-उगले हीरे मोती..इन पंक्तियों को किसान अपनी श्रम साधना से साकार कर रहे हैं। प्रगतिशील किसानों से तकनीक की जानकारी लेकर मजदूर पेशा लोग उन्नत खेती करने लगे हैं।
जगदीप शुक्ल, बाराबंकी मेरे देश की धरती सोना, उगले-उगले हीरे मोती..इन पंक्तियों को किसान अपनी श्रम साधना से साकार कर रहे हैं। प्रगतिशील किसानों से तकनीक की जानकारी लेकर मजदूर पेशा लोग उन्नत खेती करने लगे हैं। इससे न सिर्फ वह अपनी आय बढ़ा रहे हैं, बल्कि दूसरे लोगों को रोजगार देकर पलायन रोकने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। भूमिहीन या छोटी जोत वाले किसान भी खेती को विस्तार देने के लिए कांट्रैक्ट पर खेत लेकर व्यावसायिक फसलें उगा रहे हैं। इतना ही नहीं लॉकडाउन के दौरान लौटे प्रवासियों को खेती की यह विधि रोजगार देने में सहायक साबित हुई। किराये की खेती से पल रहा परिवार हैदरगढ़ के ब्रह्मनान मुहल्ला के कृष्ण कुमार चौरसिया के पास कृषि योग्य जमीन नहीं है। उनके तीन बेटियां और एक बेटा है। वह बताते हैं कि तीन बीघा जमीन किराए पर ली है। इसमें कुछ हिस्से पर पान की खेती करते हैं और शेष पर धान-गेहूं की खेती कर छह सदस्यीय परिवार का पेट पाल रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान परिवार के छह सदस्यों के अलावा दो दर्जन प्रवासी मजदूरों के साथ पान की भीट तैयार करने में कार्य देकर मदद की। पान की फसल तो अच्छी हुई पर पान बाहर न जा पाने से मुनाफा नहीं हो पाया। लहलहा रही उम्मीदों की फसल
हैदरगढ़ तहसील के बनवारगंज मजरे बहुता के प्रताप लोध ने पिछले वर्ष सात बीघा कृषि योग्य भूमि कांट्रैक्ट पर लिया। परिवार के दस लोगों के साथ खेतों में काम करने के साथ ही जरूरत पड़ने पर दिल्ली के लौटे प्रवासी शिवकेश, सुनील, सुशील आदि लोगों को 70 दिनों तक रोजगार उपलब्ध कराया। इस बार सरसों, मटर ,पालक, धनिया, मसूर, प्याज आदि की फसलें बोई हैं। सहफसली खेती से आय बढ़ाने का काम कर रहे हैं। दूसरों के भी आए काम ब्रह्मनान मोहल्ला के विकास चौरसिया की आजीविका संचालन में कांट्रैक्ट खेती मददगार साबित हो रही है। वह बताते हैं कि मवैया गांव के एक व्यक्ति से दो बीघा खेत कांट्रैक्ट पर लिया था। इसमें गुलाब के पौधे रोपे और परिवार के छह सदस्यों के साथ बारीखेड़ा गांव के चालीस-पचास लोगों को निराई-गुड़ाई सहित अन्य कार्यों में लगाया। वह बताते हैं कि लॉकडाउन के चलते गुलाब का फूल बाहर नहीं जा पाया। लेकिन, यह विधि परिवार की आजीविका संचालन में यह मददगार बनी। एक्सपर्ट की राय कानून से किसानों को मिली मजबूती
पद्मश्री राम सरन वर्मा ने बताया कि करीब दो दशक से कांट्रैक्ट फार्मिंग कर रहा हूं। वर्तमान में इस विधि से करीब तीस-चालीस फीसद खेती की जा रही है। इससे निष्प्रयोज्य व बंजर भूमि को भी उपयोगी बनाकर जहां खेती की जा रही है, वहीं रोजगार देकर पलायन रोकने में भी यह विधि मददगार है। कृषि सुधार कानून बनने के बाद किसानों को सुरक्षा मिली है। अनुबंध अवधि से पहले खेत छोड़ने के लिए बाध्य किए जाने पर वह सक्षम अधिकारी के यहां गोहार लगा सकेगा। इससे तकनीकी खेती को भी विस्तार मिलेगा।