कोतवाली के अंदर शिकायतकर्ता की मौत!
-गेट लगाने के विवाद में शिकायतकर्ता गया था कोतवाली -कोतवाल ने कहा हार्टअटैक से हुई मौत संवादसूत्र रामसनेहीघाट (बाराबंकी) कोतवाली में पुलिस से शिकायत करने गए स्कूल के एक चौपरासी की अचानक मौत हो गई। कर्मचारी की मौत के बाद पुलिस कर्मचारियों में हड़कंप मचा गया आनन-फानन शिकायतकर्ता के मृत शरीर को अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सक ने मृत घोषित कर दिया है।
बाराबंकी : कोतवाली में पुलिस से शिकायत करने गए स्कूल के एक चतुर्थ श्रेणी कर्मी की अचानक मौत हो गई। कर्मचारी की मौत के बाद पुलिस कर्मचारियों में हड़कंप मचा गया, आनन-फानन शिकायतकर्ता के मृत शरीर को अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सक ने मौत होने की पुष्टि कर दी। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराना भी उचित नहीं समझा, मामले को दबा दिया गया। पूर्व माध्यमिक विद्यालय रामसनेहीघाट में चतुर्थ श्रेणी के पद पर कार्य कर रहे कोतवाली क्षेत्र के पुरवाडीह महुलारा निवासी राजेंद्र कुमार श्रीवास्तव (55) प्रतिदिन की भांति समय से विद्यालय गए हुए थे। शनिवार की दोपहर 12 बजे के आस-पास राजेंद्र का बड़ा पुत्र शुभम अपने पिता के पास गया और स्कूल से बुलाकर कोतवाली पहुंचा। पुलिस से शिकायत करने लगे कि उनके पड़ोसी ने गेट लगा लिया है, कोतवाली के अंदर ही राजेंद्र गश खाकर गिर गए। शुभम ने बताया कि पिताजी की मौत वहीं पर हो गई थी लेकिन अस्पताल लेकर गए, जहां चिकित्सकों ने पुष्टि की है। किसी पर कोई आरोप नहीं है। कोतवाली में मौत होने के बाद भी पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया। कोतवाल आलोक मणि त्रिपाठी ने बताया कि कुछ दिन पहले राजेंद्र के पड़ोस में गेट को लगाने को लेकर विपक्षी से कहा-सुनी हुई थी, जिसको शांत कराकर प्रधान को बुलाने की बात कही थी। प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि राजेंद्र अपने पुत्र के साथ प्रधान को कब बुलाना है, यही पूछने कोतवाली आए थे, कितु यहां आने के बाद वह एकाएक कांपने लगे व बेहोश हो गए। उन्हें पुलिस व पुत्र के द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामसनेहीघाट ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने राजेंद्र को मृत घोषित कर दिया।
चिकित्सक बन गए कोतवाल : कोतवाली के अंदर हुई राजेंद्र की मौत के बाद शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया है, कोतवाल कहते हैं कि उसकी मौत हार्टअटैक से हुई है। अब सवाल उठ रहा है कि कोतवाल को पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पहले कैसे पता चला कि उनकी मौत हार्टअटैक से हुई है। यहां कोतवाल ही चिकित्सक बन गए।