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भाजपा जिलाध्यक्ष पद पर 15, प्रांतीय परिषद के लिए 17 ने की दावेदारी

भाजपा जिलाध्यक्ष पद पर दावेदारों की संख्या नामांकन समय तक बढ़ती गई। दोपहर तक 15 लोगों ने नामांकन फार्म जमा किया। अंतिम समय पूर्व सांसद प्रियंका सिंह रावत के

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 11:33 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 06:06 AM (IST)
भाजपा जिलाध्यक्ष पद पर 15, प्रांतीय परिषद के लिए 17 ने की दावेदारी
भाजपा जिलाध्यक्ष पद पर 15, प्रांतीय परिषद के लिए 17 ने की दावेदारी

बाराबंकी : भाजपा जिलाध्यक्ष पद पर दावेदारों की संख्या नामांकन समय तक बढ़ती गई। दोपहर तक 15 लोगों ने नामांकन फार्म जमा किया। अंतिम समय पूर्व सांसद प्रियंका सिंह रावत के समर्थक दिनेश वैश्य के नामांकन करने से मुकाबला रोचक हो गया। वहीं, प्रांतीय परिषद सदस्य पद के लिए उमाशंकर वर्मा मुन्नू, अर्चना मिश्रा, राम प्रकाश श्रीवास्तव, हरीश गुप्ता, बृजेश शर्मा सहित 17 लोगों ने आवेदन किया।

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चुनाव अधिकारी बिदकी के विधायक करन सिंह पटेल व सह चुनाव अधिकारी भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश महामंत्री अर्चना मिश्रा के समक्ष सभी दावेदारों ने आवेदन किया। चुनाव अधिकारी पटेल ने बताया कि नामांकन के बाद मंडल अध्यक्षों व जिला प्रतिनिधियों से रायशुमारी की गई। नामांकन करने वालों के आवेदन पत्रों में लगाए गए सदस्यता संबंधी अभिलेखों का सत्यापन भी किया जाएगा। इसकी रिपार्ट अवध क्षेत्र के अध्यक्ष सुरेश तिवारी को सौंपी जाएगी। अंतिम फैसला प्रदेश नेतृत्व लेगा।

जिलाध्यक्ष पद पर दावेदारी करने वालों में मौजूदा जिलाध्यक्ष अवधेश श्रीवास्तव, विजयानंद बाजपेई, हर्षित वर्मा, संदीप कुमार गुप्ता, प्रशांत मिश्र, दिनेश वैश्य, सरिता सिंह, रचना श्रीवास्तव, प्रमोद तिवारी के नाम प्रमुख रहे। रायशुमारी के बाद जिलाध्यक्ष अवधेश श्रीवास्तव का समर्थन करते हुए प्रमोद तिवारी, संदीप गुप्ता सहित तीन लोगों ने अपना नामांकन वापस लिया।

सांसद व विधायकों को नामांकन प्रक्रिया से दूरी बनाए रखने के निर्देश आला कमान ने दिए थे इसलिए सांसद व विधायक नहीं दिखाई दिए। मगर पूर्व सांसद प्रियंका सिंह रावत समर्थकों संग डटी रहीं।

हर कोई अपनी दावेदारी पक्की करने में लगा रहा। चुनाव अधिकारी व सहायक चुनाव अधिकारी भी अध्यक्ष पद के लिए उम्मीद से अधिक नामांकन देख असमंजस में दिखे। हालांकि, अधिक नामांकन की वजह रायशुमारी के दौरान या बाद में वह अपने समर्थक उम्मीदवार का नामांकन अपने पक्ष में वापस कराकर प्रभाव डालने की रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है।


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