Move to Jagran APP

जागृति, उल्लास, उमंग और साधना का पर्व है वसंत

क्चड्डह्यड्डठ्ठह्ल क्कड्डठ्ठष्द्धद्वद्बक्चड्डह्यड्डठ्ठह्ल क्कड्डठ्ठष्द्धद्वद्बक्चड्डह्यड्डठ्ठह्ल क्कड्डठ्ठष्द्धद्वद्बक्चड्डह्यड्डठ्ठह्ल क्कड्डठ्ठष्द्धद्वद्बक्चड्डह्यड्डठ्ठह्ल क्कड्डठ्ठष्द्धद्वद्बक्चड्डह्यड्डठ्ठह्ल क्कड्डठ्ठष्द्धद्वद्बक्चड्डह्यड्डठ्ठह्ल क्कड्डठ्ठष्द्धद्वद्बक्चड्डह्यड्डठ्ठह्ल क्कड्डठ्ठष्द्धद्वद्बक्चड्डह्यड्डठ्ठह्ल क्कड्डठ्ठष्द्धद्वद्ब

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Feb 2019 12:40 AM (IST)Updated: Mon, 11 Feb 2019 12:40 AM (IST)
जागृति, उल्लास, उमंग और साधना का पर्व है वसंत
जागृति, उल्लास, उमंग और साधना का पर्व है वसंत

बाराबंकी : वसंत के अपने रंग हैं तो अपना स्वरूप भी। मौसम हो या फसल या फिर उम्र ही क्यों न हो सब पर वसंत अपनी छाप छोड़ ही जाता है। खुशनुमा मौसम जहां खुले आसमान के नीचे उन्मुक्त होकर जीने के लिए आकाश भर उत्साह और खुशियां देता है। वहीं प्रकृति भी अपने नए कलेवर में सजी-संवरी नजर आती है। टेसू के फूल और खेतों में लहलहाती सरसों किसी नव यौवना सरीखी अठखेलियां भर रही होती है। युवा पीढ़ी के लिए यह परिदृश्य किसी स्वर्ग से कम नहीं होता है। इस दिन देवी के पूजन का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि इस दिन जन्मदिन लेने वाले व्यक्ति पर उनकी विशेष कृपा भी बरसती है। इसीलिए वसंती पंचमी के दिन को ही सूर्यकांत त्रिपाठी जैसे निराले कवि ने अपना जन्मदिन मान लिया। वे आज भी ¨हदी साहित्याकाश में निराला नाम से दैदीप्यमान हैं। इस पर्व को अपने निराले अंदाज में जीने वाले शिक्षा, साहित्य, कला और चिकित्सा क्षेत्र के विशिष्टजन ने अपने विचार जागरण से साझा किए..

loksabha election banner

------------------

यह पर्व हर उस व्यक्ति के लिए है जोकि सकारात्मक सोच वाला है। उत्साह, उमंग और उल्लास को जीने और निराशा से दूर रहने वाले व्यक्ति के लिए पर्व उत्प्ररेक है। किसी भी विधा के छात्र के लिए नई उमंग लेकर आगे बढ़ने को प्रोत्साहित करता है यह पर्व। हर किसी को इसे मनाना चाहिए।

-डॉ. अमित वर्मा, शिक्षक

-----------------

निराला जी का जीवन विविधता भरा रहा। उन्होंने वसंती पंचमी को अपना जन्मदिन माना ही नहीं जिया भी। इसकी छवि उनकी रचना -'रंग गई पग-पग धन्य धरा, हुई जग जगमग मनोहरा' में झलकती भी है। सच में यह पर्व हमारे और हमारे जैसे तमाम साहित्य साधकों में ऊर्जा का संचार करने वाला है।

-शिव कुमार व्यास, कवि

-----------------

कलाकार रंगों से खेलता है और रंग प्रकृति से मिलते हैं। वसंत ऋतु में लाल, हरे, पीले सभी रंगों का समावेश होता है। कला को निखारने के लिए मन का स्वस्थ होना जरूरी है। क्योंकि, स्वस्थ मन में ही स्वस्थ विचार आते हैं। वसंत मन को स्फूर्ति प्रदान करता है।

-कृत वर्मा, मूर्तिकार

------------------

यह पर्व किसी क्षेत्र विशेष के लिए न होकर सभी के लिए है। आज का दिन वृद्धजनों में भी युवा तेवर का अहसास कराता है। इतना ही नहीं मरीजों की सेवा के प्रति अपने क‌र्त्तव्यों के निर्वहन के लिए सजग रहने को प्रेरित भी करता है।

-डॉ. राजेश कुशवाहा, चिकित्सक


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.