चटपटी चीजों से परहेज, पहनावे में शामिल हुआ मास्क
कोरोना लॉकडाउन में गांवों में बदल रही जीवनशैली
बाराबंकी : कोरोना संक्रमण के खतरे के ²ष्टिगत लॉकडाउन के दौरान गांवों में जीवनशैली बदल रही है। बाहर की चीजों का खाना-पीना काफी हद तक कम हुआ है। लोग अब बाजार की मिठाई और चाट से परहेज कर रहे हैं। चाय की जगह काढ़ा पीने का चलन भी बढ़ा है। घर में मिठाई, चाट-मटर व समोसे भी कभी-कभार घरों में बनने लगे हैं। वहीं स्वच्छता के प्रति जागरूकता दिखी है। पहले की तरह लोग अब चप्पल-जूते घर के बाहर या बरामदे में उतारने के साथ ही हाथ-पैर धोकर ही अंदर जाते हैं। संक्रमण से बचाने के लिए चेहरे पर लगाए जाने वाले मास्क ने सामान्य कपड़ों की तरह अपनी भागीदारी लोगों के जीवन में सुनिश्चित कर ली है। घरों की अरगनी पर जहां कपड़े फैलाए जाते थे वहां मास्क भी सूखते दिखाई देते हैं।
मथुरानगर निवासी अंकित गुप्ता उर्फ बंटी के घर में छह मास्क अरगनी पर सूखते दिखे। अंकित ने बताया कि घर के सभी सदस्यों के मास्क अलग-अलग हैं। एक दूसरे का मास्क कोई नहीं पहनता। मास्क बदले न इसलिए अलग-अलग रंग के मास्क हैं। जब से कोरोना महामारी का संकट है। घर में काढ़ा जरूर बनता है। हाथ-पैर धुलकर ही लोग घर के अंदर आते हैं। जूते-चप्पल दरवाजे पर ही निकाले जाते हैं। दरियाबाद कस्बे के मुहल्ला कटरा रोशनलाल के निवासी राहुल राज के घर के सामने बाल्टी में पानी व साबुन सैनिटाइजर रखा रहता है। स्वयं तथा घर का कोई भी सदस्य बाहर से आता है तो पहले हाथ-पैर धोता है तभी घर के अंदर प्रवेश पाता है। राहुल ने बताया कि यदि घर का कोई सदस्य नहीं होता है तो पड़ोसी अजय कुमार या उनके परिवार के किसी सदस्य को बुलाकर हाथ धुलने के समय पानी डालने को बुलाते हैं।