'..खा गये नब्बे कमीशन, दस की लकड़ी जल रही'
दियानतनगर महोत्सव में किया विराट कवि सम्मेलन का आयोजन
बाराबंकी : 'जानते हो बुझ गए कैसे शहर के सब अलाव, खा गए नब्बे कमीशन, दस की लकड़ी जल रही। फुटपाथ पर बूढ़े भिखारी मर रहे हैं ठंड से, रहनुमाओं के यहां कुतिया विदेशी पल रही।' यह पंक्तियां लखनऊ से आए व्यंग्यकार अशोक झंझटी ने दियानतनगर महोत्सव में आयोजित विराट कवि सम्मेलन में पढ़ीं। इससे पहले कार्यक्रम का रामनगर विधायक शरद अवस्थी, बजरंग दल के प्रांत संयोजक सुनील सिंह, जिला पंचायत सदस्य अलका मिश्रा, विहिप जिलाध्यक्ष राकेश यादव, किसान नेता धर्मेंद्र यादव व अन्य अतिथियों ने शहीद स्मारक पर 51 दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ किया। मुख्य अतिथि शरद अवस्थी ने कवियों को सम्मानित भी किया। संयोजक व युवा गीतकार सीताकांत मिश्र स्वयं भू ने पढ़ा- 'बोलना गर बोलिए जयगान भारत, बन सपोले मुख मे विष क्यों धर रहे हो। जिस देश के तुम अन्न जल का पान करते, आज भारत बंद क्यों तुम कर रहे हो' से सम सामयिक हालातों पर चर्चा की। ओजस्वी कवि योगेश चौहान ने पढ़ा- 'सीमा पार गिरा बूंद रक्त का हमारा यदि, सर्वनाश करने वाला गोला बन जाएगा।' प्रदीप महाजन की यह पंक्तियां '..साहब पान-पुकार, उड़ाय रहे रुपया जस पानी, घूरन के दिन आवत हैं, यहु हाल बताय रही परधानी' खूब सराही गईं। रायबरेली से आए गीतकार डॉ गोविद गजब ने पढ़ा -'सब धर्मों का मान तिरंगा जिदाबाद, गीता और कुरान तिरंगा जिदाबाद। सब मिलकर बोलें भारत माता की जय, सवा अरब की शान तिरंगा जिदाबाद।' संचालक राम किशोर तिवारी 'किशोर' ने पढ़ा-'जो काल व्याल के फन पर भी कान्हा बनकर के नाचा था, जिसने उस ब्रिटिश हुकूमत के गालों पर जड़ा तमाचा था।' अध्यक्षता कर रहे गीतकार सती श्याम ने पढ़ा-'संबंधों की नींव ढह गई ईंट ईंट नीलाम हो गई, प्यास बुझी ना इस जीवन के चलते चलते शाम हो गई।' युवा कवि अविरल शुक्ल, साहब नारायण और उत्कर्ष उत्तम ने भी सराहनीय प्रस्तुतियां दीं। मधु सिंह ने कवियों को कंबल भेंट किया।
सुनीत अवस्थी, पवन सिंह, गुल्ली सिंह, राहुल, अनुराग, अनुपम, शिवाकांत, सचिन, संजय, राज, अर्पित, नितिन, कन्हैया सिंह, रामसागर यादव, रामू यादव, जितेंद्र यादव मौजूद रहे।