अफगानिस्तान की अफीम से ¨हदुस्तान में बनती है मार्फीन
पनीर की तरह फाड़ कर निकलती है मार्फीन अफीम में कुछ घातक कैमिकल डालकर कारीगर उसे पनीर की तरह फाड़ते हैं। इसको छान कर जो सामग्री बचती है उसे क्रूड कहा जाता है। इस क्रूड की कीमत करीब बीस लाख रुपये किलो होती है। इस क्रूड को फिर कैमिकल से फाड़कर निकाली गई सामग्री पहले घान की मार्फीन होती है।
बाराबंकी : अफगानिस्तान अफीम का दुनिया में सबसे बड़ा उत्पादक और सप्लायर बताया जाता है। अफगानिस्तान की अफीम से ही ¨हदुस्तान में मार्फीन तैयार कर तस्करी की जाती है। अफगानिस्तान से यह अफीम पाकिस्तान और बांग्लादेश से तस्करी होते हुए भारत की सीमा में आती है। काले सोने की तस्करी की कमाई से आतंकी संगठनों को मजबूत किया जाता है।
12 किलो मार्फीन के साथ सफदरगंज पुलिस के हत्थे चढ़े दो आरोपितों ने तस्करी की महत्वपूर्ण सूचनाएं पुलिस को दी हैं। होल सेल के रूप में देश के बिहार, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और दिल्ली सहित अन्य राज्यों में आपूर्ति करने वाले इन तस्करों से मिली जानकारी के अनुसार बाराबंकी में अफीम की खेती कम होने के बाद मार्फीन तैयार करने के लिए आने वाली सर्वाधिक अफीम अफगानिस्तान से आती है। न केवल बाराबंकी बल्कि देश में जहां-जहां इसका कारोबार है वहां सबसे अधिक अफगानिस्तान की अफीम ही खपाई जाती है। एसओ सफदरगंज विवेक ¨सह ने बताया कि पूछताछ के आधार पर जो नेक्सेस पता चला है उसे तोड़ने की रणनीति बनाई जा रही है।
एसपी डॉ. सतीश कुमार ने बताया कि जिले में मादक पदार्थ के कारोबारियों को नेस्तनाबूद किया जाएगा।
मालती वर्मा ने की थी मार्फीन बनाने की शुरूआत : बाराबंकी में अफीम से मार्फीन बनाने की शुरुआत कुख्यात तस्कर मालती वर्मा ने की थी। पश्चिम बंगाल से सीखकर आई मालती ने करीब 20 साल पूर्व इसकी शुरूआत की थी जिस समय बाराबंकी में अफीम की खेती चरम पर थी।
पनीर की तरह फाड़कर निकलती है मार्फीन : अफीम में कुछ घातक केमिकल डालकर कारीगर उसे पनीर की तरह फाड़ते हैं। इसको छानकर जो सामग्री बचती है उसे क्रूड कहा जाता है। इस क्रूड की कीमत करीब 20 लाख रुपये किलो होती है। इस क्रूड को फिर केमिकल से फाड़कर निकाली गई सामग्री पहले घान की मार्फीन होती है।