हर रोज निकल रही लगभग तीन से चार टन पालीथिन
शहर में हर रोज निकलने वाले कचरे में लगभग तीन से चार टन के आसपास हर रोज पालीथिन निकलती है। लगभग एक क्विंटल के आसपास मेडिकल वेस्टेज होता है जो जिला अस्पताल तथा निजी अस्पतालों की से फेंका जाता है।
बाराबंकी: शहर में हर रोज निकलने वाले कचरे में लगभग तीन से चार टन के आसपास हर रोज पालीथिन निकलती है। लगभग एक क्विंटल के आसपास मेडिकल वेस्टेज होता है, जो जिला अस्पताल तथा निजी अस्पतालों की से फेंका जाता है। अभियान के बावजूद शहरवासी पालीथिन का चलन छोड़ नहीं पाए हैं, लेकिन जनमानस का मानना है जब तक इसका उत्पादन बंद नहीं होता, जड़ पर प्रहार नहीं होता तब तक पालीथिन भी नहीं रोकी जा सकती। शहर के धनोखर, घंटाघर, छाया, सतरिख नाका चौराहा, बेगमगंज, भीतरी पीर बटावन, लखपेड़ाबाग, बड़ेल, लइया मंडी, दशहराबाग रोड सहित लगभग सभी जगहों पर प्रतिबंधित पालीथिन का प्रयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। फल या सब्जी विक्रेता हो या फिर चाय की बिक्री करने वाला दुकानदार हो या फिर किराने की दुकान से लेकर अन्य दुकानों पर भी प्रतिबंधित पालीथिन में सामान ले जाते हुए लोग नित्य दिखते हैं। अभियान रहे बेअसर: पूर्व में प्रशासन ने अभियान तो पालीथिन के खिलाफ चलाए लेकिन यह अभियान पूरी तरह बेअसर रहे। मौजूदा समय में प्रतिबंधित पालीथिन खुलेआम प्रयोग की जा रही है। पूर्व सभासद प्रद्युम्न यादव व बुनकर व्यापारी जुनेद अंसारी का कहना है कि अगर पालीथिन का प्रयोग रोकना है तो जहां से यह पालीथिन बनती है वहां पर पूर्णरूप से प्रतिबंध लगाना होगा तभी इस पर पूर्णरूप से अंकुश लग सकेगा।
नोटिस के साथ जुर्माना भी: नगर पालिका परिषद नवाबगंज के कर अधिकारी कमलेश चौबे के नेतृत्व में प्रतिबंधित पालीथिन के खिलाफ अभियान चलाया गया। जुर्माने की कार्रवाई भी की गई। उन्होंने बताया कि लगातार अभियान चलाकर प्रतिबंधित पालीथिन के प्रयोग पर अंकुश लगाया जाएगा।