यूपी पीसीयू ने दबाया अन्नदाताओं का भुगतान, सात माह से काट रहे चक्कर
संवाद सहयोगी नरैनी क्षेत्र के तीन सैकड़ा से अधिक किसानों ने यूपीपीसीयू खरीद केंद्र में चना ब
संवाद सहयोगी नरैनी : क्षेत्र के तीन सैकड़ा से अधिक किसानों ने यूपीपीसीयू खरीद केंद्र में चना बेचा था। आज तक उन्हें एक पाई का भुगतान नहीं हुआ है। खरीद केंद्र प्रभारी से लेकर प्रशासनिक अफसर तक किसानों की समस्या से अनजान बने हैं। वहीं सात माह बीत जाने के बाद भी इन किसानों के जख्मों पर मरहम लगाने वाला कोई नहीं है।
हमार कौन गुनाह रहा है कि हम लोगन ने आपन चना सरकार के केंद्रन में बेच दीन, सात महीना हुईगे आज तक रुपया नहीं मिलो। यह वाक्य है गांव के कई किसानों ने तहसील गेट पर एसडीएम से मिलने की मनुहार करते हुए पुलिस कर्मियों से कही। निराशा हाथ लगने पर उन्होंने जिलाधिकारी को संबोधित शिकायती पत्र एक कर्मचारी को सौंप वापस हो लिए। माह अप्रैल-मई में कस्बा के कालिजर मार्ग पर यूपी पीसीयू के खुले खरीद केंद्र में क्षेत्र के लगभग 300 किसानों ने चना का वाजिब मूल्य पाने के लिए बेचा था। कई बार लिखित शिकायत करने के बाद आज तक भुगतान नहीं हुआ। इस समय क्षेत्र का किसान अपनी पारिवारिक समस्या शादी-विवाह, बीमारी, बुआई, कर्ज को लेकर हलाकान है। नौबत यहां तक है कि किसान अपने खेत व महिलाओं के जेवर, गिरवी रखकर अपनी जरूरतें पूरी कर रहे हैं। इन किसानों ने तहसील दिवस में कई बार शिकायती पत्र दिया। सात माह बीत जाने के बाद भी किसानों के जख्मों पर मरहम लगाने वाला न जनप्रतिनिधि काम आ रहे न ही अधिकारी? क्षेत्र के किसान राजू प्रसाद पटेल, रामआसरे बसराही, भोला प्रसाद, नत्थू प्रसाद, सीताराम, छेदीलाल आदि किसानों का कहना है कि 1076 मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में कई बार शिकायत दर्ज कराई। आज तक कुछ नहीं हुआ। इस संबंध में एसडीएम से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन उनका फोन कवरेज क्षेत्र से बाहर बताता रहा।
बोले किसान
- नौगवां गांव के किसान नत्थू शिवहरे का कहना है चना का अच्छा मूल्य पाने की लालसा में यूपीपीसीयू खरीद केंद्र पर बेच दिया। अब तक भुगतान नहीं हुआ। आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई है। खरीद केंद्र के प्रभारियों का कोई अता-पता नहीं है। एसडीएम से लेकर डीएम तक कई पत्र दे चुके है। जनसुनवाई पोर्टल में लिखा लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ।
- मुकेरा गांव के सीताराम पटेल का कहना है कि प्रशासन का केंद्र में कोई हस्ताक्षेप नहीं समझ आ रहा। क्षेत्र में ऐसे केंद्र न खुले इसका ध्यान रखना प्रशासनिक अधिकारियों का काम है। बीमार सदस्यों का इलाज नहीं करा पा रहे। पैसों का अभाव है। खेती में बुवाई कार्य शुरू है।
- बसराही गांव के किसान उमेश का कहना है कि चना बेच का भुगतान न होने से आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। जनप्रतिनिधि व अधिकारी तक बेपरवाह बने है। कोई सुनने वाला नहीं है चचेरी बहन की शादी है।