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किशोर की हत्या में दो को आजीवन सश्रम कैद, जुर्माना

ढाई वर्ष पूर्व किशोर की धारदार हथियार से हत्या करने व उसके शव छिपाने के मामले में अदालत ने दो दोषियों को आजीवन सश्रम कैद की सजा सुनाई है। साथ ही दोनों पर 11-11 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। जुर्माना अदा न करने पर चार-चार माह की अतिरिक्त सजा काटनी होगी। दोनों दोषी घटना के समय से ही जेल में बंद हैं। दोनों का सजायावी वारंट बनाकर जेल भेज दिया गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 Oct 2019 10:33 PM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 06:02 AM (IST)
किशोर की हत्या में दो को आजीवन सश्रम कैद, जुर्माना
किशोर की हत्या में दो को आजीवन सश्रम कैद, जुर्माना

जागरण संवाददाता, बांदा : ढाई वर्ष पूर्व किशोर की धारदार हथियार से हत्या करने व उसके शव को छिपाने के मामले में अदालत ने दो दोषियों को आजीवन सश्रम कैद की सजा सुनाई है। साथ ही दोनों पर 11-11 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माना अदा न करने पर चार-चार माह की अतिरिक्त सजा काटनी होगी। दोनों दोषी घटना के समय से ही जेल में बंद हैं। दोनों का सजायावी वारंट बनाकर जेल भेज दिया गया।

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बिसंडा थाना क्षेत्र के उमरेंहडा गांव निवासी बाबूलाल का परिवार एक मार्च 2017 को सभी लोग खाना खाने के बाद खेत में काम करने चला गया। घर में उसका नौ वर्षीय छोटा पुत्र अजय व सात वर्षीय पुत्री गुड्डन थी। बड़ा पुत्र राधे मवेशी चराने खेत गया था। शाम को सभी वापस लौटे तो उसका छोटा लड़का अजय घर से गायब था। गांव वालों के सहयोग से उसकी तलाश की गई। घंटों बाद उसके घर के बगल देवराज के खंडहर में शव पड़ा मिला। अजय के गले व सीने में धारदार हथियार से रेतने के निशान मिले। हत्या छिपाने के उद्देश्य से हत्यारों ने उसका शव यहां खंडहर में फेंक दिया गया था। दूसरे दिन दो मार्च को पिता बाबूलाल ने थाने में अज्ञात में रिपोर्ट दर्ज कराई। विवेचना के दौरान विवेचक ने प्रकाश में आए दो आरोपित सुरेश व कमलेश यादव निवासी उमरेहड़ा के खिलाफ धारा 302, 201 आईपीसी के तहत आरोप पत्र अदालत में भेजा। मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष के सहायक शासकीय अधिवक्ता आशुतोष मिश्रा ने छह गवाह पेश किए। अपर सत्र न्यायालय सप्तम के न्यायाधीश ने आरोपित सुरेश व कमलेश यादव को धारा 302 में आजीवन सश्रम कैद की सजा व दस-दस हजार रुपये जुर्माना तथा धारा 201 में तीन-तीन वर्ष की कैद व एक-एक हजार रुपये जुर्माना किया। जुर्माने की 75 फीसद धनराशि पीड़ित परिवार को दी जाएगी। जेल में बिताई गई अवधि सजा में समायोजित की जाएगी। सभी सजाएं एक साथ चलेंगी।


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