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मौसम ने बदले तेवर, फाल्गुन में धूप की जेठ जैसी तल्खी

जागरण संवाददाता बांदा मौसम के ऐसे तल्ख तेवर मार्च में कभी नहीं देखने को मिले। दोपहर में ज

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Mar 2019 07:36 PM (IST)Updated: Thu, 28 Mar 2019 06:25 AM (IST)
मौसम ने बदले तेवर, फाल्गुन में धूप की जेठ जैसी तल्खी
मौसम ने बदले तेवर, फाल्गुन में धूप की जेठ जैसी तल्खी

जागरण संवाददाता, बांदा : मौसम के ऐसे तल्ख तेवर मार्च में कभी नहीं देखने को मिले। दोपहर में जेठ जैसी आग उगलती धूप से गर्मी अपना असर दिखाने लगी है। हालांकि अभी हवाएं गर्म नहीं हो रही हैं। इसे काफी राहत है। बुधवार को अधिकतम तापमान 36 और न्यूनतम 25 डिग्री सेल्सियस पारा रहा। मौसम विभाग के मुताबिक आगे तापमान में और इजाफा होने का पूर्वानुमान है।

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मंगलवार को भोर में तेज बूंदाबादी व तेज हवाओं के बाद मौसम में कुछ बदलाव आया। लेकिन जल्द ही इसके तेवर बदल गए। बुधवार को सुबह से तेज धूप रही। दोपहर तक धूप की तल्खी बढ़ती गई। धूप असहनीय होने से दोपहर में सड़कों व सार्वजनिक स्थलों पर चहल-पहल कम रही। हालांकि बीच-बीच में बदली और तेज हवाओं से गर्मी से राहत भी मिली। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक बुधवार को अधिकतम पारा 36 और न्यूनतम 25 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। यह सामान्य से दो-दो डिग्री सेल्सियस ज्यादा है। दिन में 11 किलोमीटर की गति से उत्तरी पश्चिमी हवाएं चलीं। केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों की मानें तो 27 मार्च को इतना ज्यादा पारा कभी नहीं रहा। इस सीजन सामान्य पारा अधिकतम 32 और न्यूनतम 24 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। हालांकि 2005 में 27 मार्च को अधिकतम पारा 34 डिग्री सेल्सियस तक गया था। उधर, कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञानी डा.दिनेश कुमार साहा ने बताया कि आने वाले दिनों में सामान्य मसौम के साथ दिन में धूप की तेजी बढ़ेगी। पहाड़ों पर सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ और तराई तक जा रही आंशिक ट्रफ का असर धीरे-धीरे कमजोर हो रहा है। इससे आने वाले दिनों में ड्राई वेदर कंडीशन और सक्रिय होंगी। चूंकि पश्चिम से आ रही हवाओं का जोर है, इसलिए दिन के न्यूनतम पारे के साथ अधिकतम पारा भी चढ़ेगा।

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पिछेती फसलों पर मौसम की मार

रबी सीजन में पिछेती बोई गईं गेहूं, चना, सरसो आदि की फसलों पर धूप की तल्खी का सीधा असर पड़ रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा.श्याम सिंह ने बताया कि इस समय फसलों को 30 से 32 डिग्री तापमान बेहतर होता है। लेकिन 35 से 36 डिग्री तापमान में पानी की जरूरत ज्यादा पड़ेगी और तेज धूप से फलियां कमजोर पड़ेंगी। इसका असर उत्पादन पर पड़ेगा। उन्होंने किसानों से खेतों में नमी बनाए रखने और इस पर विशेष ध्यान दिए जाने पर जोर दिया।


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