विद्यालयों में सुविधाओं का टोटा, खातों में करोड़ों डंप
जागरण संवाददाता, बांदा : शासन की मंशा को जिम्मेदार किस तरह पलीता लगाते हैं, जनपद के स्कूलों क
जागरण संवाददाता, बांदा : शासन की मंशा को जिम्मेदार किस तरह पलीता लगाते हैं, जनपद के स्कूलों का हाल देखकर इससे बेहतर कोई नहीं बता सकता। शासन जहां परिषदीय स्कूलों को कॉन्वेंट का रूप दे रहा है, वहीं जनपद के परिषदीय स्कूलों में छात्र जर्जर बिल्डिंगों में पढ़ने को मजबूर हैं। स्कूलों में साफ-सफाई तो छोड़िए, पेयजल की व्यवस्था तक नहीं है। उदासीनता का आलम यह है कि विभाग के खाते में छह करोड़ पड़े हुए हैं लेकिन जिम्मेदारों को स्कूलों की सुध तक नही हैं।
मामले को लेकर बेसिक शिक्षा की सचिव मनीषा त्रिघाटिया ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को खातों में अनुप्रयुक्त अवशेष धनराशि का विवरण उपलब्ध कराने के लिए पत्र जारी किया है। जिसमें सामने आया कि विद्यालय प्रबंध समिति के 1998 खातों में करीब छह करोड़ की राशि डंप है। इस मामले में कोई भी जिम्मेदार गंभीरता नहीं दिखा रहे। यही कारण है कि कई बीईओ इस पर काम नहीं कर रहे है। पत्र में उन्होंने पूर्व में भेजे गए पत्रों का हवाला देते हुए बीएसए व सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी को सूचना न देने पर चेतावनी भी दी है। जिले में विद्यालय प्रबंध समित व शंकुल केंद्रों की स्थिति
कुल समिति - 2037
खातों का ब्योरा देने वाले - 1998
खातों में जमा धनराशि - 5.76 करोड़
कुल शंकुल केंद्र - 72
खातों में जमा धनराशि 2.72 लाख
ब्योरा देने वाले - 55
कुल बीआरसी - 9
ब्योरा देने वाले - 5
कुल धनराशि - 5.97 लाख
कई बार पत्राचार करने के बाद 1998 विद्यायल प्रबंध समिति, 55 शंकुल केंद्रों व 5 बीआरसी की रिपोर्ट मिल पाई है। इनके खातों में पांच करोड़ 84 लाख 77 हजार रुपये वर्षों से पड़े हैं। जिसका कोई रिकार्ड नहीं है। जिले के 39 एसएमसी, 18 एनपीआरसी व 4 बीआरसी के खातों में पड़ी रकम की अभी कोई जानकारी नहीं मिल पाई है।
प्रवीण कुमार, सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी, सर्व शिक्षा अभियान