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धान की खुर्रा बुआई से बढ़ेगी किसानों की आय

तैयार होने तक पानी अधिक लगता है। एक किलो धान पैदा करने में करीब 5000 लीटर तक पानी की खपत होती है। धान की नर्सरी व रोपाई में श्रमिक अधिक लगते हैं। इससे लागत बढ़ जाती है। समय अधिक लगने से रबी व जायद की फसल भी पिछड़ जाती हैं। इस फसल चक्र में आशा के अनुरूप लाभ नहीं मिल पाता है। जबकि खुर्रा बुवाई में इन सभी समस्याओं का समाधान है। इससे धान की सीधी बुआई करते हैं। न तो ज्यादा श्रमिकों की जरूरत है और न ही खर्च क

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 May 2020 10:17 PM (IST)Updated: Fri, 22 May 2020 06:06 AM (IST)
धान की खुर्रा बुआई से बढ़ेगी किसानों की आय
धान की खुर्रा बुआई से बढ़ेगी किसानों की आय

जागरण संवाददाता, बांदा : बुंदेलखंड में अब खुर्रा बुआई किसानों की आय दोगुना करेगी। यह कम पानी, कम श्रम व कम लागत में अधिक उपज दिलाएगी। धान की सीधी बुआई (खुर्रा) इस वर्ष जिले के कई किसान कर रहे हैं। इस विधि में न तो नर्सरी तैयार करने का झंझट है और न ही रोपाई की चिता। धान के फसल की लागत भी 60 फीसद तक कम होगी।

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रोपाई विधि में नर्सरी डालने से लेकर फसल तैयार होने तक पानी अधिक लगता है। एक किलो धान पैदा करने में करीब 5000 लीटर तक पानी की खपत होती है। धान की नर्सरी व रोपाई में श्रमिक अधिक लगते हैं। इससे लागत बढ़ जाती है। समय अधिक लगने से रबी व जायद की फसल भी पिछड़ जाती हैं। इस फसल चक्र में आशा के अनुरूप लाभ नहीं मिल पाता है। जबकि खुर्रा बुवाई में इन सभी समस्याओं का समाधान है। इससे धान की सीधी बुआई करते हैं। न तो ज्यादा श्रमिकों की जरूरत है और न ही खर्च करने की। प्रति बीघा आठ से दस क्विंटल उपज होगी। सिचाई को लेकर परेशान किसान अब इस विधि को अपना रहे हैं। इस वर्ष करीब 50 किसानों ने इसकी शुरुआत की है। करीब 200 हेक्टेयर में यह फसल लहलहाएगी। कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ.बीके गुप्ता भी इस विधि को बुंदेलखंड के लिए लाभकारी मानते हैं।

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ऐसे होती है धान की खुर्रा बुआई

सूखी बुआई : वर्षा आधारित क्षेत्रों में मानसून आने के पूर्व ही समतल खेतों में बैल चालित सीडड्रिल, जीरो टिलेज सीडड्रिल अथवा हैप्पी सीडर से धान की सीधी बुआई कर दी जाती है। वर्षा होने पर फसल अंकुरित हो जाती है और फसल सिचाई होती रहती है।

नमी व पलेवा से बुवाई : मानसून आने के 15 से 20 दिन पूर्व पलेवा लगाकर सामान्य सीडड्रिल से धान की सीधी बुआई की जाती है। मानसून आने तक खेत मे नमी बनाये रखने के लिए हल्की सिचाई की जाती है। सूखे खेत में धान बुआई करके सिचाई कर सकते हैं। लेकिन पलेवा देकर खेत तैयार कर बुआई करना अधिक अच्छा है। अच्छे अंकुरण के लिए धान को 24 घंटे पानी मे भिगोकर बीज शोधित कर ही बुआई करें।

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क्या कहते हैं प्रगतिशील किसान :

इस विधि से धान की फसल में 50-60 फीसद बचत होती है। रोपाई विधि की तुलना में इस विधि में पूरी फसल अवधि में धान के खेत पर पानी नहीं भरना पड़ता। जब वर्षा नहीं होती तो ही सिचाई कर नमी बनाए रखनी होती है।-मोहम्मद असलम, छनेहरा लालपुर।

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खुर्रा विधि एक नजर में :

बुआई का समय : 25 मई से 15 जून

बीज दर : 6-8 किलो प्रति बीघा

उपज : 6-8 क्विंटल प्रति बीघा

रोपाई विधि में लागत : 3000 रुपये प्रति बीघा

खुर्रा विधि में लागत : 1200 रुपये प्रति बीघा


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