कहीं बाड़े में तो कहीं घर में बांधे अन्ना पशु
जागरण संवाददाता, बांदा : शासन-प्रशासन की योजनाओं से कोई लाभ मिलता न देख अन्ना मवेशियों से निप
जागरण संवाददाता, बांदा : शासन-प्रशासन की योजनाओं से कोई लाभ मिलता न देख अन्ना मवेशियों से निपटने के लिए ग्रामीण अब खुद कमर कस रहे हैं। महुआ ब्लाक का घुरौंडा और बड़ोखर खुर्द ब्लाक के कतरावल गांव में किसान पशुबाड़ा बनाकर अपने बलबूते चंदा जुटाकर उनका पालन पोषण कर रहे हैं। किसानों की इस पहल से फसलों की ¨चता तो कम हुई पर अन्ना पशुओं के पेट भरने की फिक्र बढ़ गई है।
घुरौंडा गांव के प्रधान महेंद्र कुमार तिवारी ने ग्रामीणों के सहयोग से तार लगाकर पशुबाड़ा तैयार किया गया है। इसमें करीब 200 गाय व बछड़े पल रहे हैं। इनका पेट भरने के लिए ग्रामीण कभी चंदा तो कभी आपसी सहयोग से जतन कर रहे हैं। प्रधान के मुताबिक लखनचंद्र द्विवेदी, अशोक शुक्ला, शिवकुमार त्रिपाठी, राजाबाबू, पूर्व प्रधान रघुवीर, रामसजीवन, रमेश शुक्ला, बैजनाथ व प्रेम आदि ने मिलकर ठंड से बचाने के लिए पॉलीथिन की व्यवस्था की है। उनके पानी पीने के लिए युवा नलकूप से नाली बनाकर पशुबाड़ा तक लाए हैं। किसान अपनी ओर से पांच सौ से एक हजार रुपये का चंदा दे रहे हैं। प्रधान महेंद्र तिवारी का कहना है कि किसानों के इस प्रयास से फसलों की सुरक्षा जरूर हो रही हैं, लेकिन अन्ना जानवरों के पेट भरने की चिंता भी सभी के चेहरों पर है। कतरावल गांव हुआ अन्ना से मुक्त
ग्राम पंचायत कतरावल में भी किसानों ने अन्ना से निपटने की खुद ठानी है। यहां किसानों ने पशुबाड़ा तो नहीं बनाया लेकिन अपने-अपने मवेशी को बांधने की जिम्मेदारी खुद उठाई है। इसके अलावा छुंट्टा जानवरों को बांधने की भी पहल की गई है। हर घर में एक-एक अन्ना जानवर संरक्षित हो रहा है। ऐसे में पूरा गांव अन्ना जानवरों से मुक्त है तो किसानों के फसलें भी बिना किसी सुरक्षा के लहलहा रही हैं। ''किसानों की छुट्टा जानवरों को संरक्षित करने की पहल सराहनीय है। घुरौंडा और कतरावल गांव में किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। उनकी जो भी मदद हो सकेगी, की जाएगी।''
- हीरालाल, डीएम