स्कूलों में कम उपस्थिति पर धीमा रहा टीकाकरण
जागरण संवाददाता, बांदा : खसरा-रूबैला जैसी बीमारियों से लड़ने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से
जागरण संवाददाता, बांदा : खसरा-रूबैला जैसी बीमारियों से लड़ने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। मगर स्कूलों में छात्र संख्या कम होने से इस अभियान को गति नहीं मिल पा रही है। दो सप्ताह तक चलने वाले अभियान को तीन सप्ताह तक चलाया गया। अभियान में अब तक सिर्फ तीन लाख बच्चों के ही टीके लग सके।
स्वास्थ्य विभाग ने 26 नवंबर से रुबैला टीकाकरण की शुरुआत की। योजना के तहत अभियान दो सप्ताह तक स्कूलों में, दो सप्ताह तक आंगनवाड़ी केंद्रों व एक सप्ताह तक गांव में जाकर चलाया जाना था। इसमें विभाग ने जिले के लगभग सभी स्कूलों से लगभग 688063 छात्र-छात्राओं का चयन किया। टीमें भी लगाई गई। मगर दो सप्ताह तक चलने वाले इस अभियान को स्कूलों में तीन सप्ताह तक चलाया गया। बावजूद इसके सिर्फ तीन लाख छात्र-छात्राओं के ही टीके लग सके। विभागीय सूत्रों की माने की स्कूलों में बच्चों की कम उपस्थिति इसमें बाधक बन रही है। टीम जिस दिन स्कूल पहुंचती है। वहां छात्र संख्या कम होती है। ऐसे में सभी को टीके लगाना किसी चुनौती से कम नहीं है।
अब तक 2800 स्कूलों में हुआ टीकाकरण का काम
जिले के चयनित स्कूलों में से अब तक 28 सौ स्कूलों में टीकाकरण का काम पूरा कराया जा चुका है। समस्या के त्वरित निराकरण हेतु जिला अधिकारी महोदय ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी व जिला विद्यालय निरीक्षक के माध्यम से समस्त प्रबंधकों व प्रधानाचार्यों को निर्देशित किया है कि वह टीकाकरण के दिन सभी बच्चों को स्कूल में उपस्थित करवाएं ।
यूनीसेफ के साथ धर्मगुरुओं की भी ली जा रही मदद
रूबैला टीकाकरण को सफल बनाने के लिए जिलाधिकारी ने यूनीसेफ के साथ ही धर्मगुरुओं की भी सहायता ली। इसके तहत मदरसों व मस्जिदों से भी इसकी जानकारी दी गई। ताकि उन अभिभावकों को भी मुख्य धारा में लाया जा सके।
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अभियान का तीसरा सप्ताह पूरा हो गया है। ऐसे में तीन लाख छात्र-छात्राओं को टीके लगाए जा चुके है। पहले भय के कारण लोग इसके लगवाने में कम रुचि ले रहे थे। मगर जानकारी होने पर इसकी गति बढ़ी है। निर्धारित समय पर लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाएगा।
डा. बीपी वर्मा, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी
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स्वास्थ्य विभाग की ओर से रूबैला टीकाकरण अभियान में 303 टीमों को लगाया गया है। प्रत्येक टीम में चार सदस्य शामिल हैं। शीघ्र ही बांदा रूबैला से मुक्त भारत की छवि प्रस्तुत करेगा। अभियान के शुरुआत में भ्रम और सुई लगने के भय के कारण अभियान में गति धीमी रही है पर अब अभिभावकों में इसको लगवाने को लेकर अति उत्साह है ।
डा. संतोष कुमार, सीएमओ।