सांवा -कोदो से संवरेगी बुंदेलों की किसानी
जागरण संवाददाता, बांदा : वैसे तो बुंदेलखंड मोटे अनाजों के लिए प्रसिद्ध है। किसी समय इसकी अलग
जागरण संवाददाता, बांदा : वैसे तो बुंदेलखंड मोटे अनाजों के लिए प्रसिद्ध है। किसी समय इसकी अलग ही मांग रहती थी। ये पौष्टिक होने के साथ औषधीय रूप से भी लाभकारी होता है। समय के साथ ही लोगों का रुझान भी इसकी खेती से जाता रहा। और सांवा-कोदो अपना अस्तित्व खोता चला गया। लेकिन इस बार सरकार ने इस बीज को प्रमुखता देने की तैयारी शुरू कर दी है। ताकि एक बार फिर पुराने अनाजों से अन्नदाताओं को समृद्ध बनाया जा सके। चित्रकूटधाम मंडल के लिए बीज वितरण का लक्ष्य मिल चुका है। किसानों को छूट पर दोनो फसलों का बीज मिलेगा।
बुंदेलखंड प्राचीन समय से कृषि प्रधान क्षेत्र रहा है। यहां के अधिकांशत: लोगों की आजीविका खेती पर ही निर्भर है। सरकार द्वारा किसानों की आय दोगुनी करने की शुरू की गई पहल के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कई स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। अबकी बार खरीफ का जो आच्छादन लक्ष्य प्रस्तावित किया गया है उसमें भी बढ़ोत्तरी की जा रही है। ताकि ज्यादा से ज्यादा कृषि क्षेत्रफल को फसलों से आच्छादित किया जा सके। बुंदेलखंड की माटी दलहन-तिलहन के लिए बेहद मुफीद है। यहां मोटे अनाज कहे जाने वाले सांवा-कोदो की भी पैदावार होती है। लिहाजा खरीफ के मौसम में इन दोनो फसलों को प्रमुखता से स्थान देने की तैयारी की गई है। हालांकि अभी लक्ष्य नहीं मिला लेकिन चित्रकूटधाम मंडल के चारो जनपदों के लिए बीज वितरण का लक्ष्य जरूर निर्धारित कर दिया गया है। इसमें 15 क्विंटल सांवा व इतना ही बीज कोदो का शामिल है। कृषि विभाग के मुताबिक इन दोनो फसलों की अपनी खासियत भी है जो बुंदेलखंड के लिए मुफीद मानी जाती है। इनकी पैदावार सिर्फ बारिश के पानी से ही हो जाती है और दो से सवा दो माह में तैयार भी हो जाते हैं। - खरीफ में सांवा-कोदो जैसे फसलों को अबकी बार प्रमुखता से स्थान देने की तैयारी की गई है। बांदा सहित चित्रकूटधाम मंडल के अन्य जनपदों के लिए बीज का लक्ष्य मिल चुका है। किसानों को यह बीज छूट पर मिलेगा। खरीफ में उत्पादन लक्ष्य में वृद्धि प्रस्तावित है। इसलिए मोटे अनाजों को भी शामिल किया गया है।
-एके ¨सह, उप कृषि निदेशक/प्रभारी जेडीए
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कपास के बीज का भी मिला लक्ष्य
बांदा : चित्रकूटधाम मंडल में कपास की भी खेती खरीफ में किए जाने की तैयारी की गई है। उपनिदेशक ने बताया कि बांदा, हमीरपुर एवं चित्रकूट के लिए 8-8 क्विंटल एवं महोबा के लिए 18 ¨क्वटल बीज का लक्ष्य मिला है।
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सांवा-कोदो में नहीं पड़ती ¨सचाई की जरूरत
बांदा : सांवा-कोदो बुंदेलखंड की प्राचीन फसलें हैं। इन दोनो की एक प्रमुख खासियत यह है कि बारिश के पानी से ही इनकी ¨सचाई की खपत पूरी हो जाती है। कहने का तात्पर्य कि यह दोनो कम से कम पानी में तैयार हो जाती हैं।
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60 से 70 दिन में पककर होती है तैयार
बांदा : मोटे अनाज सांवा व कोदो 60 से 70 दिन में तैयार हो जाते हैं। सामान्यत: सितंबर में फसल तैयार होने के बाद खेत खाली हो जाते हैं और इसके बाद किसान समय से रबी फसलों की बुआई भी कर लेते हैं। सारिणी
जनपदवार बीज का लक्ष्य (¨क्वटल में)
जनपद -सांवा -कोदो
बांदा -2.5 -2.5
हमीरपुर -2.5 -2.5
चित्रकूट -7.5 -7.5
महोबा -2.5 -2.5